इसे घी संक्रान्ति, घ्यू सग्यान, घ्यू सग्यान, ओलगिया, घी त्यार, घी त्यौहार नाम दिये जाने का कारण यह है कि इस दिन माताएं अपने बच्चों की मांग में ताजा घी मलती हैं तथा इसके साथ ही उनके स्वस्थ्य एवं च...
घुघुतिया त्यौहार को मकर संक्रांति भी कहा जाता है क्योंकि माघ माह के पहले दिन सूर्य मकर रेखा से कर्क रेखा की तरफ यानि उत्तर दिशा को चला जाता है। यही कारण से मकर संक्रांति को उत्तरायणी भी कहा जाता ...
नौटी की नन्दाराजजात का तथा अल्मोड़ा के नन्दा महोत्सव का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। अल्मोड़ा में भाद्र शुक्ल अष्टमी के अवसर पर तीन दिन तक इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। नंदा देवी मेला अल्मोड़ा |...
नौढा कौतिक - उ.ख. के इस लोकोत्सव का आयोजन गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जनपद में कर्णप्रयाग-गैरसैण मार्ग पर नारायणगंगा के तट पर स्थिति आदिबदरी के पवित्र देवस्थल में किया जाता है। नौढा कौतिक - रुद्रप...
सातों-आठों कुमाऊं के पूर्वोत्तरी क्षेत्र पिथौरागढ़ का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उत्सव है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य नया वस्त्र अवश्य धारण करते हैं। Saton Aatho Festival Pithoragarh | सातों-आठों त्यौ...
अल्मोड़ा जनपद की तहसील रानीखेत के कस्बे चौखटिया से 12 कि. मी. की दूरी पर स्थित मासी नामक गांव में रामगंगा के उस पार स्थित सोमेश्वर महादेव के मंदिर के सामने नदी तट पर होता है। सोमनाथ मासी का मेला ...
सितम्बर माह के जाते हुए और हल्की हल्की ठण्ड जब हिमालय से नीचे उतरना शुरू करती है, तब उत्तरकाशी के मुखबा, हरसिल, रैथल, बारशु, सुक्की आदि गांवों में सेलकु मेला मनाया जाता है। सेलकु मेला उत्तरकाशी |...
अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट कस्बे में सम्पन्न होने वाला स्याल्दे बिखौती का प्रसिद्ध मेला प्रतिवर्ष वैशाख माह में सम्पन्न होता है। हिन्दू नव संवत्सर की शुरुआत ही के साथ इस मेले की भी शुरुआत होती है।...
चंपावत जिले के लोहाघाट से लगभग 5 किमी0 की दूरी पर स्थित सुंई व बिशुंग गांव में यह महोत्सव मनाया जाता है। सुंईं के सूर्यनारायण / आदित्य महादेव व मां भगवती मंदिर में श्रावण मास की पूर्णिमा ( रक्षाब...
उत्तराखण्ड में चैत के महिने में भिटौली का महिना होता है। इसमें महिला के पिता या भाई या कोई अन्य मायके से अपनी बेटी-बहन के लिये उसके ससुराल भेंट लेकर आते हैं। भिटौली या भिटोई - त्यौहार उत्तराखंड |...
उत्तराखण्ड के पूर्वी अंचल में, एक बड़े पर्वतीय भूभाग में असोज मास की कन्या संक्रान्ति के शुभअवसर पर, अनेक गांवों में बड़े उल्लास से भैल्लो त्योहार मनाया जाता है। ख़तड़वा | खतडुवा | भैल्लो त्योह...
गिन्दी मेला एक प्रकार का खेल उत्सव है जो कि प्रतिस्पर्धा, साहस, आनन्द का प्रतीक है। उत्तरकाशी के पुरोला तहसील में मकर सक्रांति के दिन गेंदुवा मेला आयोजित होता है। गिन्दी मेला (गेंद का मेला ) | ग...
कुमाऊं में इसे गंगादशहरा न कह कर केवल दशहरा कहा जाता है। यद्यपि इसे एक पुण्य पर्व समझ कर पवित्र मानी जाने वाली नदियों एवं सरोवरों में स्नान तो किया जाता है गंगा दशहरा द्वार पत्र | महत्व | कथा | उ...
देवालयीय उत्सवों में कतिपय दशक पूर्व तक अल्मोड़ा जनपदस्थ गणानाथ का उत्सव भी काफी प्रसिद्ध था। यहां पर इसका आयोजन मैदानी दीवाली के 15 दिन बाद किया जाता था। गणानाथ उत्सव मेला | गणनाथ मंदिर | अल्मोड़...
सन् 1943 में जब यहां के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर मि. बर्नेडी के द्वारा इसका शुभारम्भ किया गया था जिसका शुभारम्भ पं. जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन अर्थात् 14 नवम्बर को होता है गोचर मेला चमोली उत्तराखंड...
गेंडी या गैड़ी खगोती लोकोत्सव गढ़वाल मंडल के पौड़ी जनपद में उसके मुख्यालय के निकटस्थ ग्राम च्वींचा में मनाया जाता है। गेंडी या गैड़ी उत्सव | खगोती उत्सव | मेला | पौड़ी | Gendi Mela or Khakoti Fest...
Four Diwali in Garhwal | गढ़वाल की चार दिवाली | राज दीपावली | इगास दीपावली | मार्गशीर्ष दीपावली | उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलों में दीवाली मनाने के तौरतरीके देश के अन्य इलाकों से काफी अलग हैं। गढ़व...
गढ़वाल में एकादशी को चीर स्तम्भ के रूप में जंगल से पैय्यां वृक्ष की एक लम्बी शाखा/तने को लाकर गांव के पंचायती आंगन में गाड़ दिया जाता है। Holi Festival in Garhwal | Garhwali Holi | Garhwal Ki Holi...
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से ग्यारह हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित व 28 वर्ग किलोमीटर में फैले दयारा बुग्याल में प्रकृति और लोक देवताओं का आभार व्यक्त करने का उत्सव है ‘अण्ढूड़ी उत्सव‘...
उत्तराखंड के सौरमासानित ऋतुत्सवों में सर्वप्रथम आती है फूल सग्यान, फूल संगराद अर्थात् पुष्पसंक्रान्ति अथच मीन संक्रान्ति जो कि उत्तराखंड के दोनों मंडलों में मनायी जाती है। Phool Dei Festival 2024...
इस लोकोत्सव का आयोजन गढ़वाल मंडल के पौड़ी जनपद में देवलगढ़ गांव और फलस्वाड़ी गांव में किया जाता है जहां पर तेरह मंदिरों से घिरा सीता जी एवं लक्ष्मण जी का एक मंदिर है। मंसार मेला | सितोनस्यूं उत्सव ...
मरोज महोत्सव देहरादून के जौनसार - बावर में माघ के पूरे महिने में मानाया जाने वाला उत्सव है। यह जौनसार , जौनपुर , रवाई घाटी का एक लोकप्रिय लोक उत्सव है। मरोज महोत्सव ( मकरैण ) | जौनसार - बावर | M...
कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जनपद में उसके मुख्यालय से 6 कि.मी. पर स्थित 6,000 फीट ऊंचे ध्वज पर्वत पर मोस्टमाणू नामक देवता के प्रांगण में आयोजित किया जाता है। मोस्टमानु | मोस्टमाणू मेला चंडाक पिथौराग...
कोट भ्रामरी मेला या कोट की माई का मेला के नाम से जाना जाने वाला यह उत्सव मार्कण्डेयपुराण में उल्लिखित भ्रामरीदेवी तथा नन्दादेवी के सम्मान में चैत्र मास के नवरात्रों में मनाया जाता है कोट भ्रामरी ...
कैंचीधाम उत्सव मेला बाबा नीमकरौरी के आश्रम में इसके स्थापना दिवस, 15 जून, को एक विशाल भण्डारे के रूप में मनाया जाता है कैंचीधाम मेला स्थापना दिवस 15 जून | कैंची मंदिर | नीम करोरी बाबा | Kainchi D...
कुमाऊँ की परम्परागत रामलीला में कुमाऊँ की विशिष्ट संस्कृति की झलक मिलती है। गीत-नाट्य शैली में होने वाली कुमाऊँ की रामलीला समूचे देश में अपने ढंग की अनूठी है। इसके अंतर्गत सभी पात्र गाते हुए अभिन...
रम्माण (रम्वांण) गढ़वाल की पैनखण्डा पट्टी के सलूड़, डुंग्रा तथा सेलंग गांवों में हर वर्ष बैशाख (अप्रैल) के महीने आयोजित होता है। इनमें सलूड़ गांव का रम्वांण ज्यादा लोकप्रिय है। दो अक्टूबर 2009 को यू...
रक्षाबंधन को हिंदी में श्रावणी और उत्तराखंड में जन्योपुण्यु कहा जाता है। ये त्यौहार हर साल सावन के महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है इसलिए इसे श्रावणी भी कहा जाता है। इस दिन नयी जनेऊ धारण करी जा...
रणभूत कोथीक उत्सव का आयोजन टिहरी जनपद के भिलंगना ब्लॉक के अखोडी व ठेला गांव में कार्तिक महीने में किया जाता है। Ranbhoot Kauthik Festival | Akhodi Tehri | रणभूत कोथीक | अखोडी टिहरी
यह मेला पिथौरागढ़-चम्पावत राजमार्ग पर सरयू एवं पूर्वी रामगंगा के संगम के निकट सरयू से थोड़ी दूर पर स्थित शिवालय में मकरसंक्रान्ति को मनाया जाता है। रामेश्वर मेला पिथौरागढ़ | रामेश्वर मंदिर | Rame...
जनवरी-फरवरी माघ मास में यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन विद्या - बुद्धिदायिनी माँ सरस्वती का पूजन किया जाता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने की प्रथा पुराने समय से ही चली आ रही है Basant Panchami - ...
किंवदंती है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों का पीछा करते हुए कौरव यहां तक पहुंचे थे। थक जाने पर कौरवों ने यहां पर द्युत क्रीड़ा के जरिए कई दिनों तक अपनी थकान मिटाई और डेरा जमाए रहे। बग्वालीपोखर मेल...
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिमालय शिव का प्रिय स्थान है। उत्तराखण्ड देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है। यहां लोक देवी नंदा में दैवी शक्तियों का समावेश होने से राजकुमारी नंदा और आद्य शक...
सरयू और गोमती नदी के संगम पर बसा जिला बागेश्वर, शिव की बागनाथ नगरी के रूप में विख्यात है। बागेश्वर 14 सितम्बर 1997 को अल्मोड़ा से पृथक होकर एक नया जिला बनाया गया।बागेश्वर का उत्तरायणी मेला | उत्तर...
बौराणी मेला पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग क्षेत्र के बौराणी गांव में सैम देवता के मंदिर प्रांगण में मनाया जाता है। यह मेला दिपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा की रात में मनाया जाता है। बौराणी मेला ...
जनपद अल्मोड़ा के तहसील भिकियासैंण एवं चौखुटिया क्षेत्र के पश्चिमी रामगंगा नदी में ‘ढह‘ पर्व को मनाया जाता है। इन दोनों तहसीलों के अतिरिक्त बारामण्डल तहसील के अन्तर्गत कोसी नदी में चौसली से लेकर खै...
एक सप्ताह तक चलने वाला यह मेला सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में उत्तरपश्चिम में पूर्वी रामगंगा के तट पर स्थित थल नामक कस्बे में बैशाखी के अवसर पर आयोजित किया जाता है। थल मेला - पिथोरागढ़ | उत्तराखंड मेल...
गमरा के आगमन के के अवसर पर कुमाऊं की अस्कोट पट्टी में हिरन चित्तल का आयोजन होता है। क्योंकि इसका आयोजन गमरा महोत्सव के अवसर पर किया जाता है। Hiran Chittal - Folk Festival | Pithoragarh | Uttarakh...
आठूं पर्व के दिनों गौरा-महेश्वर की विदाई के दिन यह लोकनाट्य आयोजित होता है। इसमें वर्षाकाल के कृषि संबंधी दैनंदिन क्रिया कलापों- जुताई, रोपाई आदि का विभिन्न पात्रों के माध्यम से अभिनय किया जाता ह...
हरियाली पूड़ा एक सामाजिक उत्सव है जिसे गढ़वाल मंडल के चमोली जनपद के नौटी गांव में प्रथम चैत्र को मनाया जाता है। यह मुख्य रूप में धियाणों (विवाहिता कन्याओं) का उत्सव हुआ करता है। हरियाली पूड़ा उत्...
हरेला कुमाऊँ का लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहार है। ये त्योहार वर्षा ऋतु के आगमन पर सावन महिने के पहले दिन पड़ता है। हरेला - कुमाऊँ का लोक पर्व | हरेला - कुमाऊँ का लोक पर्व | उत्तराखंड | त्यौहार ...
कुमाऊं में होलिकोत्सव का समापन यद्यपि अपनी एक विशिष्ट परम्परा है जिसका देश के अन्य भागों के समान ही फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होता है होली | चीर बंधन | छरड़ी छलड़ी धुलेडी | कुमाऊनी होली | महिला ह...
परमपराओं के अनुसार गांव के पंचायत भूमि पर ही इस मेले का आयोजन होता है। यह मेला ताकत और साहस का परिचय भी देता है। पत्ती व पाती मेला पौड़ी | उत्तराखंड | Patti or Paati Mela | Fair Pauri | Uttarakhand
नैनीताल जनपद से लगे हुए चम्पावत जनपद के अन्तर्गत तीन हजार फीट ऊंचे अन्नपूर्णा शिखर पर स्थित पूर्णागिरी शक्तिपीठ में आयोजित होने वाला यह मेला भी यहां का अन्यतम प्रसिद्ध मेला है पुण्यागिरी मेला | म...
जागड़ा उत्सव गढ़वाल मण्डल के देहरादून जिले के जौनसार - बावर क्षेत्र के टोंस नदी के तट पर हनोल में स्थित लोकदेवता महासू देवता से सम्बन्धित हैं। जागड़ा का अर्थ होता है रात्रि जागरण। जागड़ा उत्सव : हनोे...
जांती का मेला भी कहा जाता है, गढ़वाल मंडल के चमोली जनपद में बद्रीनाथ धाम से 12 कि.मी. पूर्व विष्णुगंगा के बायें तट पर स्थित पांडुकेश्वर नामक स्थान पर हर 6 साल में आयोजित किया जाता है। जांती का मे...
जौलजीवी मेला का आयोजन पिथौरागढ़ जनपद में गोरी-काली नदियों के संगम पर मार्गशीर्ष संक्रान्ति को दो दिन के पर्वोत्सव के रूप में किया जाता था जौलजीवी मेला - धारचूला पिथौरागढ़ | उत्तराखंड के मेले | Ja...
काशीपर नगर से कुंडेश्वरी की ओर जाने वाले मार्ग पर जहां पर, कि चैती मेला का आयोजन होता था, वहां पर शाक्त सम्प्रदाय से सम्बद्ध बालासुन्दरी देवी का बहुमान्य प्राचीन मंदिर है। चैती मेला - काशीपुर ऊधम...
वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष में अमावास्या को किया जाता है। स्त्रियाँ इस व्रत को पति की लम्बी उम्र के लिए करती हैं Vat Savitri - Vrat Katha | Puja | Vidi | वट सावित्री - व्रत कथा...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
शहीद श्री देव सुमन का टिहरी रियासत के बमुण्ड पट्टी क...
21 मार्च 2022 को श्री पुष्कर सिंह धामी जी को सर्वसम्...
उत्तराखंड के लोकगायक एवं उत्तराखंड के गांधी के नाम स...
शेखर जोशी जी का जन्म अल्मोड़ा के ओलिया गांव, तहसील सो...
उत्तराखंड से आकर बॉलीवुड की सिनेमा नगरी में अपनी अवा...
बछेन्द्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारती...
ब्रिटिश कमिश्नरी में कमिश्नर सबसे शक्तिशाली प्रशासनि...
अनुराधा निराला जी तब से उत्तराखंड की सुरीली आवाज से ...
पवेंद्र सिंह कार्की का नाम उत्तराखंड के महान लोकगायक...
बिच्छू घास दुनिया के अधिकतर देशों में पाये जाने वाली...
जांती का मेला भी कहा जाता है, गढ़वाल मंडल के चमोली ज...
कत्यूर)में शासन करने वाले कत्यूरी राजवंश के आठवें रा...
देश की प्राचीन सप्तपुरियों में से एक हरिद्वार पर्यटन...
डॉ. मठपाल उत्तराखण्ड की अकेली प्रतिभा हैं जो सच्चे अ...
बुद्धि बल्लभ पंत एक चिन्तक भी थे। आधुनिक सभ्यता की द...
प्राइमरी स्कूल की मास्टरी से जीवन का प्रारम्भ कर भौग...
गेंडी या गैड़ी खगोती लोकोत्सव गढ़वाल मंडल के पौड़ी ज...
ठाकुर रतिभान सिंह के यहाँ कालू महरा का जन्म हुआ था। ...
यह खेत की जुताई यानि मिट्टी चीरने के काम में प्रयोग ...
किलमोड़ा के मूल के पास से ही प्रशाखा निकलती है। छाल ...