Aa Ha Re Sabha | आ हा रे सभा | Sher Da Anpad Kavita | शेर दा अनपढ़ की कविता | Poem
Sherda Bhal Cha | शेरदा भा्ल छा | Sher Da Anpad Kavita | शेर दा अनपढ़ की कविता | Poem
Dvi Dinak Dyar | द्वि दिनाक् ड्यार | Sher Da Anpad Kavita | शेर दा अनपढ़ की कविता | Poem
म्यौर मुलुक कदुक प्यारा, डान काना बै ज्यूनि हँसै छौ, परवतों बे चै रूनी तारा पारवती को मैतुड़ा देश! Paaravatee Ko Maitudaa | शेरदा भा्ल छा | Sher Da Anpad Kavita | शेर दा अनपढ़ की कविता | Po...
इजुकी नराई लागैलि, म्यार आँसू घुरी आल मेरि मैतै ह्यूँ चड़ी, तु मैंकैं बोत्यूहूँ आये Ijukee naraa_ii laagaili | Sher Da Anpad Kavita | Poem | इजुकी नराई लागैलि | शेर दा अनपढ़ की कविता
जग छु यौ पराई शेरूवा हो, हिटो लौटि चलो। आपणि-आपणि होलि यां भोल रे, तेरी सुध को ल्हेलो। Jag Chhu Yau Paraai Sherova | Sher Da Anpad Kavita | Poem | जग छु यौ पराई शेरूवा हो | शेर दा अनपढ़ की...
नाई-सुप-माण नै, एक गास दिनै रै। भाई को भरौस होल, तू आस दिनै रै। Aas dinai re | आस दिनै रे | Sher Da Anpad Kavita | शेर दा अनपढ़ की कविता | Poem
पूर्वत-पहाड़, भ्योल-भाड़, डाँडा-काँठा स्वर्ग समान मै-बाबूँलै लाल चड़ा, स्यैंणिल दे चर्योक दान भारता्क गौरव छना, कारगिला्क शहीद जवान्। Kargilak Shaheed Javaan | कारगिला्क शहीद जवान् Sher D...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
मालू ग्वीरालू का बीच खीनी सकीनी आहा, गोरी मुखडी मा ह...
खून को अपना रंग दिया है बुरूंश ने बुरूंश ने सिखाया ह...
हे जी चला अपुणु पहाड़ घूमी ओला बणों मा घुघुती अर ,हि...
हुण देश हुणियां को डांग बाजौ डुंगर बाजौ। हीरा भली बा...
देवी का थान पतरिया नाचे, ताथैय्या ताथैय्या होय, अम्ब...
नस्यूड़ी को साल हयूं पड़ो हिमाल ओखड़ी को गाल भैंसि पड़ो ...
सिद्धि करत यो गणपति, राज विघन हरत यो गणपति राज, अरघ ...
सोचि ल्यूछा त सोच पड़नी, कौ भे मी, का बटी ऐ रूडीनिक ज...
प्यारा, भज भक्तन के हितकारी सिरी कृष्ण मुरारी हाँ हा...
तट यमुना के तीर कदम चढ़ि, तट यमुना के तीर कदम चढ़ि क...