पारवती को मैतुड़ा देश
म्यौर मुलुक कदुक प्यारा।
डान काना बै ज्यूनि हँसै छौ
परवतों बे चै रूनी तारा।।
पारवती को मैतुड़ा देश!
हौंसिया छन डा्न- परवता
हांसिया छन भ्योव- कभाड़ा,
मन में बसौ म्यौर मुलुक
आंख में रिटौ म्यौर पहाड़ा!
ख्वार मुकुट ह्यूँक चमको
खुटि चमकी गंगा की धारा।।
परवती को मैंतुड़ा देश!
धुर-जंगला बांज-पतेली
फल-काफल के झुलि रूनी,
धन-हिसालू धन किलमोड़ी
फूल बुरूँशी के फूली रूनी!
हरिया सारी मन खै जैं छौ
हौंसि लगूनी स्यार- सिमारा।।
पारवती को मैतुड़ा देश!
भिड़ कनावा मौसि फुलैं छौ
स्यार खेतों में पाणि तैरें छौ,
भ्योव कभाड़ा पाणि की नौई
डा्न काना बै छीर फुटैं छौ !
बज बजूनी पाणि छिणों का
गीत लगूनी गाड़ गध्यारा।।
पारवती को मैतुड़ा देश!
शँश काँकड़ा धुर जंगला
मेर मुन्याला भा्ल छाजनी,
ह्यून हिडावा रूड़ि चौमासा
न्यौलि कफूवा सुवा वासनी!
हाव बयाव नौणि जै मिठो
पाणि छू जाणि दूध की धारा!
पारवती को मैतुड़ा देश!
म्यौर मुलुक सुनु को ढीन
चम चमकों सूरिजै चारा,
म्यौर मुलुक मणि - मोत्यूँको
म्यौर मुलुक हिर जोहारा!
म्यौर मुलुक स्वर्ग जैसो
मैंकैणी लागूँ दूनी है न्यारा!
डा्न काना बै ज्यूनि हँसछौ,
परवतों बै चै रूनी तारा
पारवती को मैतुड़ा देश,
म्यौर मुलुक कदुक प्यारा!