सुरकंडा देवी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। इसके अलावा इसमें देवी काली की प्रतिमा भी स्थित है। यह मंदिर 2,757 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है सुरकंडा देवी मंदिर | उत्तराखंड | Kahan Hai | Surkanda Dev...
सुभाई गांव में स्थित श्री भविष्य बदरी 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विकासखण्ड जोशीमठ तथा जिला चमोली के अन्तर्गत शामिल प्राचीनता एवम वास्तुशिल्प की दृष्टि से देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर, त्रियुगीनाराय...
गंगोत्री उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में स्थित हिन्दुओं के पवित्र धामों में से एक है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण गंगा मां का यह पवित्र स्थान है Gangotri Dam | Temple | Kapat | History | Uttar...
अटरिया देवी मंदिर कुमाऊं के ऊधमसिंह नगर जनपद के मख्यालय रुद्रपुर में स्थित है। यहां पर स्थानीय लोगों के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के सुदूरक्षेत्रों के श्रद्धालु भी आकर पूजा अर्चना करते है...
पंचकेदार में द्वतीय स्थान में मध्यमहेश्वर को माना गया है। मध्यमहेश्वर में भगवान शिव की नाभी की पूजा की जाती है। मध्यमहेश्वर उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3289 मी...
यह स्थान अल्मोड़ा कफड़खान मोटर मार्ग में शैल गांव से लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर छाना ग्राम में स्थित है। अल्मोड़ा से यहां की दूरी लगभग 7-8 किलोमीटर है। Kalpavriksha Temple | Tree | Leaves | Alm...
समुद्र तल से लगभग 3050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में जून के महीने में महा यज्ञ होता है। इसके साथ ही बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर मेला भी लगता है। कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखण्ड रुद्रप्रयाग | Ka...
उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित यह मंदिर भगवान सूर्य "बड़ादित्य" को समर्पित है। भारत में कोणार्क मंदिर ओड़िशा के बाद कटारमल सूर्य मंदिर को सबसे बड़ा सूर्य मंदिर माना जाता है, देश में इन दो मं...
कत्यूरीयों की कुलदेवी भ्रामरी और चन्दों की कुलदेवी नंदा का सामूहिक मंदिर कोट भ्रामरी मंदिर अल्मोड़ा - ग्वालदम मार्ग में बैजनाथ मंदिर से लगभग 3 कि.मी. दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है। कोट भ्रामरी मंद...
भगवती देवी को समर्पित कोटगाड़ी मंदिर पिथौरागढ़ जनपद के ग्राम पांखू में स्थित है। कोटगाड़ी देवी इस क्षेत्र में न्याय की देवी के रूप में प्रशिद्ध है। कोटगाड़ी देवी मंदिर - पिथौरागढ़ | Kotgadi Devi Templ...
हिमालयी क्षेत्र होने के कारण यह क्षेत्र लगभग 6 से 7 महिने बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है। जिस कारण मंदिर 6 महिने की अवधि के लिये ही खुलता है। बाकी के 6 मास केदारनाथ की प्रतिमा को उखीमठ में रखा...
देवी कुंजापुरी मां को समर्पित कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल में स्थित है। यह मंदिर उत्तराखण्ड में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है। Kunjapuri Devi Temple | History | Tehri | Utt...
बालेश्वर मंदिर समूहों का मुख्य मंदिर शिव मंदिर है। इसके बाहर एक शिलालेख बड़े पत्थर पर स्थापित है जिसमें सन् 1293 का उल्लेख है। Baleshwar Temple | Champawat | Uttarakhand | History | बालेश्वर मंदि...
देवस्थल महादेव - हवालबाग अल्मोड़ा - यह मन्दिर अल्मोड़ा से कौसानी जाने वाले मोटर मार्ग पर अल्मोड़ा से 15 किमी. दूर कौशल्या (कोसी) नदी के तट पर स्थित है। स्थानीय मान्यता के अनुसार यह मन्दिर आज से लगभग...
चम्पावत जनपद मुख्यालय से 60 किमी. की दूरी पर स्थित देवीधुरा आबादी और बनावट के लिहाज से किसी छोटे पहाड़ी कस्बे की तरह है। एतिहासिक दृष्टि से यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण रहा है।
द्वाराहाट में बहुत दूर तक पुराने नगर के चिन्ह मिलते हैं और मंदिरों की संख्या दर्जन के करीब होगी। Dwarahat Temples Groups | History | Gujjar Deo | Kacheri Group | Ratandev | Badrinath | Maniyan | ...
कुमायूं की प्राचीन राजधानी चम्पावत नगर से पूर्व की ओर लगभग 2 कि.मी. दूरी पर गिड्या नदी के पार चम्पावत-तिमली सड़क मार्ग के आस-पास फुगर गांव में झालीमाली का सबसे प्राचीन मन्दिर है। झालीमाली मंदिर |...
श्री महादेव गिरी महाराज पिन्डारी ग्लेशियर में तप किया करते थे, देवकृपा वस स्व० श्री गुंसाई सिंह भण्डारी जी को उनके दर्शन हुये तथा उन्होंने महाराज से सोमेश्वर आने का अनुरोध किया।
पाताल भुवनेश्वर गंगोलीहाट प्रकृति की अनुपम छटाओं के बीच उत्तराखण्ड का अलौकिक सांस्कृतिक स्थल पाताल भुवनेश्वर है, जहां देवताओं का वास माना जाता है। Patal Bhuvaneshwar Temple | Uttarakhand | Histor...
न्याय का वो देवता जिसकी ओर को पीठ घुमाकर पूजा की जाती है। उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के नैटवाड़ गांव में टोंस नदी के समीप सुपिन और रूपिन नदी के संगम में न्याय करने वाले पोखु देवता का मंदिर का स्...
In the east of Kumaun, 35 km away from the beautiful hill station Almora. The Jageshwar Dham. Out of the twelve jyotirlingas of Lord Shiva Jageshwar Temple | History | How to reach | जगेश्वर मंदि...
चित्रशिला मन्दिर के हिन्दी एवं संस्कृत लेखों के अनुसार यह मन्दिर विक्रम सम्वत 1836 की माघ की पूर्णिमा को रामगढ़ के चतुर सिंह ने बनाकर प्रतिष्ठत किया। इनके वंश का परिचय अन्यत्र दिया है। एक मन्दिर प...
भगवान शिव को समर्पित टपकेश्वर मंदिर देहरादून शहर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर देहरादूर कैंट एरिया में एक छोटी नदी के किनारे स्थित है। टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून उत्तराखंड ...
वंशीनारायण भगवान् विष्णु को समर्पित यह देवालय गढ़वाल मंडल के चमोली जनपद की उरगम घाटी के ग्राम कलगोठ में आगे एक चट्टान के निकट अवस्थित है। वंशी नारायण मंदिर | चमोली जनपद | उरगम घाटी | Bansi Naraya...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
शहीद श्री देव सुमन का टिहरी रियासत के बमुण्ड पट्टी क...
21 मार्च 2022 को श्री पुष्कर सिंह धामी जी को सर्वसम्...
उत्तराखंड के लोकगायक एवं उत्तराखंड के गांधी के नाम स...
शेखर जोशी जी का जन्म अल्मोड़ा के ओलिया गांव, तहसील सो...
उत्तराखंड से आकर बॉलीवुड की सिनेमा नगरी में अपनी अवा...
बछेन्द्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारती...
ब्रिटिश कमिश्नरी में कमिश्नर सबसे शक्तिशाली प्रशासनि...
अनुराधा निराला जी तब से उत्तराखंड की सुरीली आवाज से ...
पवेंद्र सिंह कार्की का नाम उत्तराखंड के महान लोकगायक...
बिच्छू घास दुनिया के अधिकतर देशों में पाये जाने वाली...
महारानी कर्णावती ने देहरादून गाँव बसाया था। इसके अति...
बौराणी मेला पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग क्षेत्र के बौरा...
अल्मोड़ा जनपद की तहसील रानीखेत के कस्बे चौखटिया से 1...
एक भगौने में मडुवे का आटा लेकर उसमें गुड़ व अजवाइन मि...
महाविद्यालयों के छात्रों ने संगठित होकर एक आंदोलन की...
1947 से प्रकाशित युगवाणी टिहरी रियासत के अन्तिम संघर...
उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के दन्या गांव में जन्में...
खान नामान्त स्थान आश्चर्य जनक रूप से गढ़वाल में एक भी...
रामदत्त जोशी जोशी जी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही ह...
इनका मूल नाम लोकनाथ / लोकरत्न था। गुमानी पंत संस्कृ...