वहां हिमालय में, जहां एक से रहते थे मौसमों के अंदाज बदलते नहीं थे जहां लिबास बर्फानी Vahaan Himaalay Men | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | वहां हिमालय में | वैभव जोशी कविता |...
वहाँ हिमालय में, बर्फों पर निशान तो नहीं थे, पैरों के हवा के झोकों में लेकिन सुनी थी चाप मैंनें। Shiv Mahasoos Hue The Mujhe | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | शिव महसूस हुए ...
कुछ कुछ गांव सा बाकी है अभी मेरे शहर में, कुछ कुछ पहाड़’ सा बाकी है अभी मेरे शहर में। Kuchh Gaanv Saa Baakee Hai | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | कुछ गांव सा बाकी है | उत्तराख...
दाज्यू, कूंछी के नि हुन हर बात पै कूंछी के नि हुन। कुछ लोग आई रमट ली बेर, काट ली गई, द्वि-चार पेड़, तुमूल कौ, द्वि चारै तो छन,Ke Ni Hun | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | के नि ...
जय गोलू देवता, जय जय तुम्हारी मेरेइष्ट, जय जय तुम्हारी। ओ बालागोरिया, ओ दूधाधारी मेरे इष्ट, जय जय तुम्हारी। Jay Golu Devata | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | जय गोलू देवता | ...
याद है, वो नन्ही नन्ही गौरेया? कैसे सुबह सुबह चीं चीं करके आंगन में उतर आती थी। ईजा जब डालती चावल के दानेYaad Hai Wo Gauraiya | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | याद है वो नन्ही...
आज हर पहाड़ मुझको आग में जलता दिखता है। कोना कोना पहाड़ का, राख में सिमटा दिखता है। Aaj har pahaad mujhako | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | आज हर पहाड़ मुझको | उत्तराखंड | वैभव ...
देवदार अब उतने कहाँ मिलते है सहसा कभी आता था पहाड़ , जाड़ो में बर्फ की शॉल लपेटे , बाहो में देवदार,Devadaar ab utane kahaan | Vaibhav Joshi Poem | Kavita | Uttarakhand | देवदार अब उतने कहा...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
तेरी सैंदाण समाळी सिराणा धरीं चा आँखा बूजी छौं सौंदि...
सय्यां साड़ी हमारी रंगाई क्यों न दे | saiyan saree hu...
तुमने क्यों न कही मन की रहे बंधु तुम सदा पास ही खोज ...
Aa Ha Re Sabha | आ हा रे सभा | Sher Da Anpad Kavita ...
दाज्यू, कूंछी के नि हुन हर बात पै कूंछी के नि हुन। क...
मेरी डांडी कांठ्यूं का मुलुक जैली बसंत रितु मा जैई.....
तुमल भल लगाछो म्यासो दुतरी को तारो भरियो भकारो कना क...
छैला उमेदु रै बार् पड़ मंगला, छैला नदुली बै कपड़ा ऊनी ...
रहौट की तान गीता ओ गीता त्वैकैं ऊण पड़ल मड्वा रोटो सि...