आज हर पहाड़ मुझको
आग में जलता दिखता है।
कोना कोना पहाड़ का,
राख में सिमटा दिखता है।
वन खाक हो गए है,
धुंध से भरा हर दिन दिखता है।
कभी कभी किसी दिन तो
न उगता न डूबता सूरज दिखता है।
हरियाली से भरा पहाड़
आज फीकी रंगत सा दिखता है।
बंजर भूमि लिए आँचल में
मुझको हर पहाड़ उदास दिखता है।
खूबसूरती से भरा पहाड़
धुंए में दम तोड़ता दिखता है
आज हर पहाड़ मुझको
आग में जलता दिखता है।
- वैभव जोशी