हिसालू की जात बड़ी रिसालू, जाँ जाँ ले जांछा उधेड़ी खांछ। ये बात को कोई नको नि मानौ, दूध्याल की लात सौणी पडंछ।। हिसालू का तोफा, छन बहुत गोफा जनन में, पहर चैथा ठंडा, स्वाद जनरो लिण में, अहो, मैं यों समझंछू, यो अमृत जसि वस्तु, के हुनेली कै
गुमानी जी की यह कविता उन्होने अपने गांव गंगोलीहाट के...
सुरंगतटी रसखानमही धनकोशभरी यहु नाम रहयो। पद तीन बनाय...
छोटे पे पोशाक बड़े पे ना धोती ना टोपी है, कहै गुमानी ...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
अब छाया में गुंजन होगा, वन में फूल खिलेगे दिशा दिशा ...
अटकन बटकन दही चटाकन बन फूले बनवारी फूले, दाता जी का ...
हटो फिरंगी हटो यहाँ से छोड़ो भारत की ममता हटो फिरंगी ...
Keishe Kah Doon In Saalon Men | कैसे कह दूँ, इन सालो...
वहां हिमालय में, जहां एक से रहते थे मौसमों के अंदाज ...
अम्बा के भवन बिराजे होली देवा के भवन बिराजे होली। Am...
नाई-सुप-माण नै, एक गास दिनै रै। भाई को भरौस होल, तू ...
मोपति राखो आज हरी कौरव पाण्डव जूवा भयो है बार अठार क...