गुमानी जी की यह कविता उन्होने अपने गांव गंगोलीहाट के लिये कही है-
उत्तर दिशि में वन उपवन छन हिसालू काफल किल्मोड़ा,
दक्षिण में छन गाड़ गधेरा बैदी बगाड़ नाम पड़ा
पूरब में छौ ब्रह्म मंडली पश्चिमह हाट बाजार बड़ा,
तैका तलि बटि काली मंदिर जबदम्बा को नाम बड़ा,
धन्वंतरि का सेवक सब छन भेषज कर्म प्रचार बड़ा,
धन्य धन्य यो ग्राम बडौ छौ थातिन में उत्तम उप्राड़ा।