कत्यूर)में शासन करने वाले कत्यूरी राजवंश के आठवें राजा। राजा नर सिंह देव से कटारमल्ल देव के शासन काल के नब्बे वर्षों में हुए राज्य विस्तार के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध नहीं है। कटार मल्ल देव - ज...
गढ़वाल में घुरदड़ा वंश की गुसाई जाति के मूल पुरुष। लगभग 12वीं सदी में घुरदेव जी गुजरात से चान्दपुर गढ़ आए थे। अपनी ताकत और प्रभाव से घुरदेव जी इस क्षेत्र में एक छोटे से गढ़ के अधिपति बन गए। घुरदे...
कार्तिकेयपुर (जोशीमठ) से राजधानी को मानस भूमि में कत्यूर घाटी में लाने वाले राजा नरसिंह देव ही थे। नरसिंह देव - कत्यूरी नरेश - जीवनी | इतिहास | उत्तराखंड | कार्तिकेयपुर | Narsingh Dev - Katyuri K...
नरेन्द्र शाह - ब्रिटिश राजमुकुट के प्रतिनिधि वायसराय की ओर से महाराजा का पद प्राप्त करने और 11 तोपों की सलामी का सम्मान पाने वाले रियासत के पहले नरेश। रजा नरेन्द्र शाह - पंवार वंश - जीवनी | इतिहा...
गढ़वाल के पंवार राजवंश का चौबीसवां राजा। इस गढ़पति को इतिहासकारों ने राजा लिखा है। इसकी राजधानी जनपद टिहरी गढ़वाल में भिलंग घाटी में घुत्तू नामक स्थान में थी। सोनपाल राजा - गढ़वाल | उत्तराखंड | So...
चन्द राजवंश पर गहन और विस्तृत में लिखने वाले इतिहासकार डा. शिवप्रसाद डबराल ने अनुश्रुतियों के आधार पर सोमचन्द का राज्यारम्भ सन 665 और 700 लिखा है।सोमचन्द | थोहरचन्द - चंद वंश के संस्थापक | Somcha...
टिहरी रियासत के नरेश प्रतापशाह की रानी। धर्मपरायण, साध्वी, शासन कुशल नारी। मूल नाम कुन्दनदेई। रानी गुलेरिया का जन्म हिमाचल प्रदेश की रियासत मण्डी के गाँव कुनाल में एक राजपूत परिवार में हुआ था। गु...
अशोकचल्ल के गोपेश्वर अभिलेख में उसे परम भट्टार्क महाराजाधिराज लिखा गया है। यह महायानी बौद्ध था। अभिलेख में उसे अभिनव बोधिसत्वावतार कहा गया है। अशोक चल्ल - जीवनी | इतिहास | नेपाल का राजा | उत्तराख...
गढ़वाल के 60 पंवार वंशीय राजाओं की सूची में 37वीं पीढ़ी के राजा । इस क्षेत्र के 48 गढ़पतियों को विजित कर गढ़वाल राज्य की नींव डाली। Ajaypal - Garhwal King | Panwar Dynasty | Biography | History |...
गढ़वाल नरेश मेदिनी शाह के सुपुत्र। 1667 में शासन सम्भाला । इनका राज्यारम्भ दिग्विजय से प्रारम्भ होता है। सर्वप्रथम इन्होंने सिरमौर राज्य पर चढ़ाई की | फतेह शाह - जीवनी | इतिहास | गढ़वाल राजवंश | प...
एक पंवाड़ा के अनुसार इस गढ़ का गढ़पति शान्तनदेव था। चाँदपुर गढ़ के गढ़ाधिपति पर जब चौखुटिया की ओर से 'सात-भाई-हीतों' ने आक्रमण कर दिया था शान्तन देव - गढ़कनारा गढ़, जोशीमठ का राजा | Sha...
मानवेन्द्र शाह राजा टिहरी रियासत के अंतिम नरेश। ब्रिटिश सरकार से 'महाराजा' के विरूद से सम्मानित। स्वाधीनता के बाद राजदूत और सांसद रहे। मानवेन्द्र शाह - जीवनी | अंतिम टिहरी नरेश | Manabe...
बाजबहादुर चंद की मृत्यु के उपरांत उसका बड़ा पुत्र उद्योत चंद गद्दी पर बैठा। चंद राजाओं में भारती चंद के बाद यही वह राजा था राजा उद्योत चंद - चंद वंश | इतिहास | कुमाऊँ इतिहास | King Udyot Chand | B...
गढ़वाल में चाँदपुरगढ़ के पराक्रमी और प्रतापी गढ़पति। मूल निवासः धार, गुजरात। इतिहासकारों ने कनकपाल को गढ़वाल में 927 वषों तक एकछत्र राज्य करने वाले पवार राजवंश का आदि पुरुष बताया है। कनकपाल - जीव...
कत्ती फौंदार की राजधानी ग्वू गाँव में थी। कत्ती फौंदार को नेपाल सरकार से प्रशासनिक अधिकार एव लाल मुहर द्वारा व्यवस्थापिका के अधिकार प्राप्त थे। कती फौदार - जीवनी | इतिहास | दारमा, व्यास और चौदास ...
लोकगाथा के अनुसार इन्द्रपुरी के राजा इन्द्र की दो बेटियाँ थी। दोनों बेटियों में उनकी छोटी बेटी का नाम कालीनारा और लेखिका बड़ी बेटी मसानी था । इन्द्र ने अपनी बड़ी बेटी का विवाह हिमालय की कोख में बस...
राजा सुदर्शनशाह बहुत ही सुशील स्वभाव के थे और जल्द ही उन्होंने अपने राज्य को सफलतापूर्वक व्यवस्थित कर दिया। सुदर्शन शाह ने अपने उजड़े राज्य को व्यवस्थित करने के लिए प्रजा पर कर लगाये। राजा सुदर्शन...
भवानी शाह को राजा सुदर्शन शाह ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। परन्तु राजा सुदर्शन शाह की रानी 'शेरसिंह' के पक्ष में थी। राजा भवानी शाह - जीवनी | इतिहास | गढ़वाल राजवंश | पंवार वंश...
राजा प्रतापशाह के स्वर्गवास के बाद, कीर्तिशाह का राज्याभिषेक मात्र 13 वर्ष की अवस्था में हुआ था। उस समय पोलिटिकल एजेन्ट मि. रासैं थे। राजा कीर्ति शाह - जीवनी | इतिहास | गढ़वाल राजवंश | पंवार वंश |...
बालो कल्याणचंद के पश्चात् रूद्रचंद गद्दी पर बैठा। प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इसका समय 1565 से 1597 ई. के मध्य ठहरता है। वह दिल्ली के मुगल बादशाह अकबर का समकालीन था। राजा रूद्रचंद - चंद वंश | जी...
प्रजा हितैषी और न्यायप्रिय शासक। अल्मोड़ा नगर को बसाने वाला प्रजापालक राजा। इनकी जीवनावधि अविदित है और राज्यावधि में भी इतिहासकार एकमत नहीं हैं। राजा बालो कल्याण चन्द - चंद वंश | जीवनी | कुमाऊँ इ...
कूर्मांचल के सर्वाधिक शक्तिशाली नरेशों में एक तराई क्षेत्र को आबाद करने वाला पहला नरेश। भाग्य का सर्वाधिक धनी। चरवाहे से राजा बनने वाला कूर्मांचल में अकेला नरेश। राजा बाज बहादुरचन्द - चंद वंश | क...
इस राजा के और भी नाम मिले हैं। सीरा से प्राप्त चंदों की वंशावली में उसे लछिमीचंद, मूनाकोट ताम्रपत्र में लछिमन चंद तथा 'मानोदय-काव्य' में लक्ष्मण कहा गया है। राजा लक्ष्मी चंद - चंद वंश |...
जगत चंद्र का काल चंदों के इतिहास में एक सर्वाधिक उत्कर्ष का काल था। यद्यपि जगत चंद्र ने मात्र बारह वर्षों तक ही शासन किया था राजा जगत चंद - चंद वंश | इतिहास | कुमाऊनी राजवंश | King Jagat Chand | ...
क्योकि ज्ञानचंद का प्रथम तामपत्र-अभिलेख 1698 ई. का प्राप्त हुआ है। अतः वह 1698 में गद्दी पर बैठा था। उसने 1698 से 1708 ई. तक शासन किया। राजा ज्ञानचंद चंद वंश | इतिहास | कुमाऊनी राजवंश | King Gya...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
शहीद श्री देव सुमन का टिहरी रियासत के बमुण्ड पट्टी क...
21 मार्च 2022 को श्री पुष्कर सिंह धामी जी को सर्वसम्...
उत्तराखंड के लोकगायक एवं उत्तराखंड के गांधी के नाम स...
शेखर जोशी जी का जन्म अल्मोड़ा के ओलिया गांव, तहसील सो...
उत्तराखंड से आकर बॉलीवुड की सिनेमा नगरी में अपनी अवा...
बछेन्द्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारती...
ब्रिटिश कमिश्नरी में कमिश्नर सबसे शक्तिशाली प्रशासनि...
अनुराधा निराला जी तब से उत्तराखंड की सुरीली आवाज से ...
पवेंद्र सिंह कार्की का नाम उत्तराखंड के महान लोकगायक...
बिच्छू घास दुनिया के अधिकतर देशों में पाये जाने वाली...
1994 में टिहरी के भिलंगना क्षेत्र खवाड़ा गांव से शुर...
कुमाऊं में होलिकोत्सव का समापन यद्यपि अपनी एक विशिष्...
मेजर राजेश सिंह अधिकारी भारतीय सेना के अधिकारी थे जि...
2022 उत्तराखंड विधान सभा चुनाव उत्तराखंड राज्य का पा...
रानीखेत हमेशा से ही अंग्रेजों और पर्यटकों का मुख्य क...
उत्तराखण्ड का यह आंदोलन पेड़ो की रक्षा हेतु किया गया ...
नित्यानंद स्वामी कम उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में ...
भवानी शाह को राजा सुदर्शन शाह ने अपना उत्तराधिकारी घ...
कुमाऊँ में लाल बैंकिंग व्यवसाय के जन्मदाता। स्वतंत्र...
भवन एवं अनेक प्रकार के काष्ठोपकरणों के निर्माण के अत...