बालो कल्याण चन्द (राज्यावधिः 1559-1565): कुमाऊँ के चन्दवंशी राजा। प्रजा हितैषी और न्यायप्रिय शासक। अल्मोड़ा नगर को बसाने वाला प्रजापालक राजा। इनकी जीवनावधि अविदित है और राज्यावधि में भी इतिहासकार एकमत नहीं हैं। 'राजाधिराज महाराज' की उपाधि प्राप्त और 'यूद्ध में शत्रुओं को परास्त करने वाला राजा' का श्रेय प्राप्त करने वाला यशस्वी सम्राट। बालो कल्याणचन्द के पूर्ववर्ती राजा भीष्मचन्द निसंतान थे खगमराकोट के विद्रोही खशिया लोगों ने एक दिन गजुवा ठिंगा नाम के एक विद्रोही नायक के नेतृत्व में 75 वर्षीय बूढ़े राजा भीष्म चंद और उसके साथियों की हत्या कर दी थी। बालो कल्याणचन्द किसी ताराचन्द का पुत्र था। 1533 से वह राजा भीष्मचन्द के प्रमुख सहायक के रूप में कार्य कर रहा था। अस्तु, राजकाज का उसे पर्याप्त अनुभव हो गया था। मृत्यु से पूर्व राजा भीष्मचन्द ने बालो कल्याणचन्द को गोद लेकर उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर लिया था। लगभग 20 वर्ष की आयु में बालो को राजसिंहासन प्राप्त हुआ। उसकी रानी डोटी के रैका महाराज हरिमल्ल साही की पुत्री थी। सोर और सिरा पर उन दिनों रानी के भाई, रायमल्लसाही डोटी का राज था। रानी के अनुरोध पर रायमल्लसाही ने रैका क्षेत्र बालो कल्याणचन्द को दहेज के रूप में दान दे दिया था।
हमसे वाट्सएप के माध्यम से जुड़े, लिंक पे क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि