रेखा धस्माना उनियाल |
उत्तराखंड के लोक संगीत मे कई गायक एव गायिकाओं ने अपना भरपूर योगदान दिया है, जिन्होंने उत्तराखंड के लोक संगीत को एक पहचान दी। उनमे से एक हैं उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायिका रेखा धस्माना उनियाल। जिन्होंने उत्तराखंड की गढ़वाली और कुमाउनी भाषाओं में कई प्रसिद्ध गाने गाए हैं। पिछले 25 सालों में रेखा ने दर्जनों कैसेट निकालें और कई स्टेज शो किए हैं। रेखा धस्माना ने दो फिल्मों का भी निर्देशन किया है।
बचपन
रेखा का जन्म 9 मार्च 1964 उत्तराखंड के छतौड़ा गांव में हुआ था। उनका यह गांव पौड़ी गढ़वाल के चांटकोट जिले में आता है। रेखा की माँ का नाम श्रीमती कमला धस्माना और पिता का नाम श्री लोकेश धस्माना है। 2 साल के बाद उनका पूरा परिवार दिल्ली में रहने लगा और फिर वहीं पर रेखा की पढ़ाई—लिखाई पूरी हुई। परिवार में संगीत का माहौल होने के कारण उनकी भी संगीत में दिलचस्पी बढ़ने लगी और मोहन सिंह मनराल के साथ उन्होंने अपना पहला गाना गया।
करियर
रेखा 4 साल की उम्र से गाना गा रही है। उनके पिता भी एक गायक थे। शुरू में रेखा ने शौकिया तौर पर गाना गाय। 1988 में उनकी शादी श्री राकेश उनियाल के साथ हो गई। उसके बाद वह उनके साथ मुंबई रहने लगी। शादी के बाद उनके ससुर जी ने उन्हें प्रोत्साहित किया और उन्हें गायकी को प्रोफेशन बनाने को कहा। उनकी पहली एलबम 'चार दिन की धकाधुम' थी। 1985 में इसे रिलीज किया गया। इसे चंद्र सिंह राही ने उनसे गवाया था। उसके बाद 'मेरा बाजु रंगा' भी उन्होंने गया जो उत्तराखंड के लोगों को खूब पसंद आया। नरेंद्र सिह नेगी के साथ उन्होंने कई सुपरहिट गाने गाए जिसमें एक था 'हेजी केबे न करा'। उनका ये गाना भी काफी लोकप्रिय रहा।
समाज सेवा
गायकी के साथ-साथ रेखा उत्तराखंड के लोगों को जागरुक करने का भी काम करती हैं। वह कहती हैं कि मुझे लगता है कि मेरा उत्तराखंड बहुत ही अनोखा है और हमें उसे एक ऐसा राज्य बनाना चाहिए जो हर किसी की पंसद में पहला स्थान पाए। वह अक्सर लोगों को जागरुक करने के लिए गाने भी गाती रहती हैं।
सम्मान
रेखा धस्माना को उत्तराखंड की गोपाल बाबू लीजेड्री सिंगर का अवॉ्र्ड मिल चुका है और उन्हें कई क्षेत्रीय अवॉर्ड भी मिले हैं।
हमसे वाट्सएप के माध्यम से जुड़े, लिंक पे क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि