1947 से प्रकाशित युगवाणी टिहरी रियासत के अन्तिम संघर्ष का मंच बना। इसका प्रकाशन टिहरी राज्य प्रजामंडल के नेताओं भगवती प्रसाद पांथरी, आचार्य गोपेश्वर कोठियाल आदि ने किया। युगवाणी - 1947 | संपादक |...
सन् 1935 से लगातार प्रकाशित होने वाला समता पत्र राष्ट्रीय आन्दोलन के युग में स्थानीय स्तर पर दलित जागृति का पर्याय बन गया। समता (1935) - समाचार पत्र | अल्मोड़ा | उत्तराखंड | Samtaa News Paper | Al...
बीसवीं सदी के तृतीय दशक में पर्वतीय जनता को जागृत करने का कार्य समर्पित और सशक्त रूप से स्वाधीन प्रजा ने किया। स्वाधीन प्रजा (1930-1933) | संपादक | अखबार | अल्मोड़ा | Swadhin Praja | Newspaper | A...
गढ़वाली पर्वतीय क्षेत्र में राजनैतिक और सामाजिक चेतना के प्रसार का सक्षम माध्यम बना। गढ़वाली के सम्पादक गिरिजादत्त नैथाणी गढ़वाली अखबार 1905-1950 उत्तराखंड का पहला गढ़वाली समाचार पत्र | संपादक | इत...
अल्मोड़ा अखबार भारत वर्ष का द्वितीय और उत्तर प्रदेश का प्रथम साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र था। बुद्धि बल्लभ पंत इसके संस्थापक सम्पादक थे। अल्मोड़ा अखबार 1871 - उत्तराखंड का पहला कुमाऊँनी समाचार पत...
शक्ति प्रारम्भ से ही आक्रामक, प्रखर राष्ट्रवादी और स्पष्टवादी पत्र रहा। उसने राष्ट्रीय आन्दोलन के अन्तिम तीन दशकों में स्थानीय जनता को जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया शक्ति (1918) | समाचार पत...
गढ़वाल के प्रमुख कांग्रेसी नेता भैरवदत्त धूलिया, भक्त दर्शन, कमल सिंह नेगी, कुन्दन सिंह गुसाई, श्री देव सुमन, ललिता प्रसाद नैथाणी तथा नारायण दत्त बहुगुणा आदि इसके सम्पादक मंडल में थे। कर्मभूमि - ...
कुमाऊँ कुमुद सन् 1922 मे जिला समाचार शीर्षक से प्रकाशित होने वाला पत्र 1925 से 'कुमाऊँ कुमुद' शीर्षक से प्रकाशित होने लगा। कुमाऊँ कुमुद - 1922 | संपादक | इतिहास | उत्तराखंड | Kumaun Kum...
उत्तराखण्ड के प्रथम बैरिस्टर तथा स्थानीय राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख संग्रामी मुकुन्दी लाल ने जुलाई, 1922 में लैंसडाउन से तरुण कुमाऊँ का प्रकाशन किया। तरुण कुमाऊँ (1922-1923) | संपादक | अखबार | ...
गढ़वाल समाचार तथा गढ़वाली के सम्पादक रह चुके गिरिजादत्त नैथाणी का एकाकी प्रयास पुरूषार्थ के रूप में सामने आया। पुरूषार्थ 1918-1923 | संपादक | इतिहास | Purusharth | Newspaper
सन् 1939 में पीताम्बर पाण्डे ने हल्द्वानी से जागृत जनता का प्रकाशन किया। पीताम्बर पाण्डे राष्ट्रीय संग्राम में नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, जो 1930 के आन्दोलन के दौरान तैयार हुई थी। जागृत ज...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
शहीद श्री देव सुमन का टिहरी रियासत के बमुण्ड पट्टी क...
21 मार्च 2022 को श्री पुष्कर सिंह धामी जी को सर्वसम्...
उत्तराखंड के लोकगायक एवं उत्तराखंड के गांधी के नाम स...
शेखर जोशी जी का जन्म अल्मोड़ा के ओलिया गांव, तहसील सो...
उत्तराखंड से आकर बॉलीवुड की सिनेमा नगरी में अपनी अवा...
बछेन्द्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारती...
ब्रिटिश कमिश्नरी में कमिश्नर सबसे शक्तिशाली प्रशासनि...
अनुराधा निराला जी तब से उत्तराखंड की सुरीली आवाज से ...
पवेंद्र सिंह कार्की का नाम उत्तराखंड के महान लोकगायक...
बिच्छू घास दुनिया के अधिकतर देशों में पाये जाने वाली...
कुमाऊँनी कवि चारु चन्द्र पांडे एक विलक्षण व्यक्तित्व...
जुवा बैलों के कंधों (कानी) पर ज्योतिड़ की सहायता से ...
अंग्रेजों के द्वारा पहला बंदोबस्त सन् 1815-16 के मध्...
उत्तराखण्ड के उत्तर मध्य कालीन इतिहास में तराई क्षेत...
गमरा के आगमन के के अवसर पर कुमाऊं की अस्कोट पट्टी मे...
नेहा खंखरियाल भले ही उम्र में ज्यादा न हो, लेकिन उसक...
‘जागर’ का शाब्दिक अर्थ जगाने से है, जब देव-आख्यानों ...
विक्टर मोहन जोशी एक निडर आंदोलनकारी, समाजसेवी, गांधी...
मौला राम तोमर गढ़वाली चित्रकला शैली के सर्वप्रथम आचा...