KnowledgeBase


    पुरूषार्थ 1918-1923

    purusharth

    ‌पुरूषार्थ (1918-1923) गढ़वाल समाचार तथा गढ़वाली के सम्पादक रह चुके गिरिजादत्त नैथाणी का एकाकी प्रयास पुरूषार्थ के रूप में सामने आया। ब्रिटिश गढ़वाल में गढ़वाली की उदारवादी नीति के विपरीत पुरूषार्थ ने समयानुरूप राष्ट्रीय आन्दोलन के उग्र विकास को जनता तक पहुंचाने का कार्य किया। पुरूषार्थ ने प्रेस एक्ट से लकर रौलेट एक्ट तक सभी स्तरों पर ब्रिटिश सरकार की आलोचना की। अल्मोड़ा अखबार के बन्द होने पर उसने इसका विरोध किया। सन् 1919 में दमन कारी रौलेट बिल का विरोध किया।


    ‌स्थानीय स्तर पर कुली बेगार तथा जंगलात पर पुरूषार्थ ने विचारोत्तेजक लेख लिखे। गढ़वाली के विपरीत पुरूषार्थ ने असहयोग आन्दोलन का समर्थन किया और शक्ति के साथ दूरस्थ क्षेत्रों में इसका प्रचार-प्रसार किया। यद्यपि पुरूषार्थ संगठित प्रयास न होने के कारण शक्ति के जैसा विकास न कर सका और न ही उतना अधिक लोकप्रिय हो सका, तथापि ब्रिटिश गढ़वाल को नवीनतम प्रवृत्तियों से जोड़ने में विशेष सहायक रहा।


    हमसे वाट्सएप के माध्यम से जुड़े, लिंक पे क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि

    हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि

    Leave A Comment ?