कफुवा बासण फैगो, फुलि गोछ दैणा, ओ मेरी बैना, ओ ऐ गे ऋतु रैणा। Rritu Geet - Chaitr | Lok Geet | Folk Songs | Uttarakhand | ऋतु गीत - चैत्र | लोक गीत | उत्तराखंड
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
तुमने क्यों न कही मन की रहे बंधु तुम सदा पास ही खोज ...
जोगी आयो शहर में व्योपारी -२ अहा, इस व्योपारी को भूख...
भली तेरी जन्म भूमि कुमाऊँ पहाड़ा, के भल देखनी इति गध्...
याद है, वो नन्ही नन्ही गौरेया? कैसे सुबह सुबह चीं ची...
जा तन लागै है सखी, व तन जानै पीर। दूजे को दरसै नहीं,...
देवी का थान पतरिया नाचे, ताथैय्या ताथैय्या होय, अम्ब...
भूली निजान आपुण देश, हुलार-उकाव डाना रंगीला, नाचनै छ...
किस प्रकाश का हास तुम्हारे मुख पर छाया तरुण तपस्वी त...