Bhada - Bhada - Folk Drama | भड़ा - लोकनाट्य | Uttarakhand Folk Dance
Chholiya is one of the popular folk dance of Uttarakhand, which is prevailed mostly in Kumaun region. This dance is performed as a symbol of valour and enthusiasm in war.
उत्तराखंड के मशहूर लोकगायक मंगलेश डंगवाल ने अपने लोकगीतों से और गढ़वाली गानों से न सिर्फ उत्तराखंड में बल्कि विदेशों में भी पर्वतीय क्षेत्रों के गानों से अपना नाम बनाया है। हाल ही में उत्तराखंड न...
उत्तराखण्ड में देवताओं की 22 दिन की पूजा का प्रावधान है। 22 दिन की पूजा को 'बैसी' कहा जाता है। 22 दिन की पूजा करने वाले लोग बाद में एक माह, तीन माह, छ: माह या एक वर्ष की पूजा करते हैं। ...
इसका आरम्भ पहली रात्रि से ही हो जाता है। दूसरे दिन दोपहर बाद से गाँव के वे स्त्री-पुरुष जिन पर पहले से ही पांडव अवतरित होते हैं एवं जिन्हें पंडों का पसवा (पात्र) कहा जाता है Pandav Nritya - Rawai...
‘जागर’ का शाब्दिक अर्थ जगाने से है, जब देव-आख्यानों द्वारा किसी व्यक्ति विशेष पर स्थानीय ईश्वरीय बोल बोलता है। ‘जागर’ गान में महाकाव्य जैसी देवी-देवताओं की गाथाएँ गायी जाती हैं
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
शहीद श्री देव सुमन का टिहरी रियासत के बमुण्ड पट्टी क...
21 मार्च 2022 को श्री पुष्कर सिंह धामी जी को सर्वसम्...
उत्तराखंड के लोकगायक एवं उत्तराखंड के गांधी के नाम स...
शेखर जोशी जी का जन्म अल्मोड़ा के ओलिया गांव, तहसील सो...
उत्तराखंड से आकर बॉलीवुड की सिनेमा नगरी में अपनी अवा...
बछेन्द्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारती...
ब्रिटिश कमिश्नरी में कमिश्नर सबसे शक्तिशाली प्रशासनि...
अनुराधा निराला जी तब से उत्तराखंड की सुरीली आवाज से ...
पवेंद्र सिंह कार्की का नाम उत्तराखंड के महान लोकगायक...
बिच्छू घास दुनिया के अधिकतर देशों में पाये जाने वाली...
9 नवम्बर 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी सविन बसंल व जि...
बिशनी देवी शाह का जन्म बागेश्वर में 12 अक्टूबर 1902 ...
सोलह शताब्दी के अंतिम वर्षों में संभवत: 1585 या 1595...
भानु धमादा (जीवनकाल सत्रहवीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध)...
घुघुतिया त्यौहार को मकर संक्रांति भी कहा जाता है क्य...
In the east of Kumaun, 35 km away from the beautiful...
राष्ट्रीय राजमार्ग 307 NH 307 की कुल लंबाई 37.45 कि....
राधाखंडी शैली, सदैई, बाजूबन्द, गायन जागर की विलक्षण ...
आज की मालतराई तो अत्यंत संकुचित 25-30 कि.मी. नीचे तक...
ओण, वर्षा ऋतु में खेतों के किनारों में उग आई झाड़ियो...