प्यारे समुद्र मैदान जिन्हें नित रहे उन्हें वही प्यारे मुझ को हिम से भरे हुए अपने पहाड़ ही प्यारे हैं मुझको पहाड़ ही प्यारे हैं - चंद्र कुँवर बर्त्वाल | Mujhako Pahaad Hee Pyare Hain | Cha...
मैं बनू वह वृक्ष जिसकी स्निग्ध छाया मे कभी थे रुके दो तरुण प्रणयी फिर न रुकने को कभी मैं बनू वह शैल जिसके दीन मस्तक पर कभी आकांक्षा - चंद्र कुँवर बर्त्वाल | कविता | Aakanksha | Chandra Ku...
मुझे प्रेम की अमर पूरी में अब रहने दो अपना सब कुछ देकर कुछ आँसू लेने दो प्रेम की पूरी, जहा रुदन में अमृत झरता नन्दिनी - चंद्र कुँवर बर्त्वाल | कविता | Nandini | Chandra Kunwar Barthwal | ...
मैंने न कभी देखा तुमको पर प्राण तुम्हारी वह छाया जो रहती है मेरे उर में वह सुन्दर है पावन सुन्दर! पर प्राण तुम्हारी वह छाया - चंद्र कुँवर बर्त्वाल | कविता | Par Praan Tumhare Vah Chhaya |...
अपनी बहन कुँवरी की स्मृति में जिसका 1937 मे निधन हो गया था बहन कुँवरी की स्मृति | बहिन स्वर्ग मे हो तुम क्या मेरी बातो को सुन पाती हो उठ वसंत के इन प्रांतो में मैं करता हूँ आंसूं भर कर या...
किस प्रकाश का हास तुम्हारे मुख पर छाया तरुण तपस्वी तुमने किसका दर्शन पाया सुख-दुख में हंसना ही किसने तुम्हे सिखाया किसने छूकर तुम्हें स्वच्छ निष्पाप बनाया प्रकाश हास - चंद्र कुँवर बर्त्वा...
अब छाया में गुंजन होगा, वन में फूल खिलेगे दिशा दिशा से अब सौरभ के धूमिल मेघ उठेंगे जीवित होंगे वन निद्रा से निद्रित शेल जगेंगे अब तरुओ में मधू से भीगे कोमल पंख उगेगेअब छाया में गुंजन होगा...
तुमने क्यों न कही मन की रहे बंधु तुम सदा पास ही खोज तुम्हे, निशि दिन उदास ही देख व्यथित हो लौट गयी मैं, तुमने क्यों न कही मन की तुमने क्यों न कही मन की - चंद्र कुँवर बर्त्वाल | कविता | Tu...
हे मेरे प्रदेश के वासी, छा जाती वसन्त जाने से जब सर्वत्र उदासी. झरते झर-झर कुसुम तभी, धरती बनती विधवा सी | काफल पाक्कू - चंद्र कुँवर बर्त्वाल | Kafal Pako - Poem | Chandra Kunwar Barthwal
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
He merii aankhyun kaa ratan | हे मेरी आंख्युं का रतन...
कफुवा बासण फैगो, फुलि गोछ दैणा, ओ मेरी बैना, ओ ऐ गे ...
झनकारो, झनकारो, झनकारो, गोरी प्यारो लगो तेरो झनकारो ...
बांसुई का बन, मादुरी का कन, ताला माला खन, तै दिनै का...
मास असौज की रात कन्हैया रास रच्यो यमुना तट में ।। 2 ...
रंग की गागर सिर में धरे आज कन्हैया रंग हरै, देखो, आज...
कुछ कुछ गांव सा बाकी है अभी मेरे शहर में, कुछ कुछ पह...
छैला उमेदु रै बार् पड़ मंगला, छैला नदुली बै कपड़ा ऊनी ...
सीता राम को ब्याह जनकपुर जाना है ।। कै लख आये रे हस्...