Folk Songs


    प्रकाश हास

    किस प्रकाश का हास तुम्हारे मुख पर छाया
    तरुण तपस्वी तुमने किसका दर्शन पाया?
    सुख-दुख में हंसना ही किसने तुम्हे सिखाया
    किसने छूकर तुम्हें स्वच्छ निष्पाप बनाया?
    फैला चारों ओर तुम्हारे घन सूनापन
    सूने पर्वत चारों ओर खडे, सूने घन।
    विचर रहे सूने नभ में, पर तुम हंस-हंस कर
    जाने किससे सदा बोलते अपने भीतर?
    उमड रहा गिरि-गिरि से प्रबल वेग से झर-झर
    वह आनंद तुम्हारा करता शब्द मनोहर।
    करता ध्वनित घाटियों को, धरती को उर्वर
    करता स्वर्ग धरा को निज चरणों से छूकर।
    तुमने कहां हृदय-हृदय में सुधा स्रोत वह पाया
    किस प्रकाश का हास तुम्हारे मुख पर छाया?

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