Folk Songs


    पर प्राण तुम्हारी वह छाया

    मैंने न कभी देखा तुमको,
    पर प्राण तुम्हारी वह छाया-
    जो रहती है मेरे उर में
    वह सुन्दर है पावन सुन्दर!
    मैंने न सुना कहते तुमको
    पर मेरे पूजा करने पर
    जो वाणी-सुधा बरसाती है
    वह सुन्दर है पावन सुन्दर!
    मैं उस स्पर्श को क्या जणू
    पर मेरी गीली पलकों पर
    जो मृदुल हथेली फिरती है
    वह सुन्दर है पावन सुन्दर!
    मैंने न कभी देखा तुमको
    पर प्राण तुम्हारी वह छाया-
    जो रहती है मेरे उर में
    वह सुन्दर है पावन सुन्दर!

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