कुमाऊँ कुमुद सन् 1922 मे जिला समाचार शीर्षक से प्रकाशित होने वाला पत्र 1925 से 'कुमाऊँ कुमुद' शीर्षक से प्रकाशित होने लगा। अल्मोड़ा से प्रकाशित होने वाले इस पत्र का सम्पादन प्रेम बल्लभ जोशी, बसंत कुमार जोशी, देवेन्द्र प्रताप जोशी आदि ने किया। प्रारम्भ में इसकी छवि राष्ट्रवादी की अपेक्षा साहित्यिक पत्र की थी। एक राष्ट्रवादी पत्र के रूप मे विकसित होने में इसे लगभग छह-सात वर्ष लग गये। सन् 1928 में साइमन कमीशन के आगमन और सन् 1930 में पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा ने सम्पूर्ण राष्ट्र को आन्दोलित कर दिया था। कुमाऊँ कुमुद समय की मांग के अनुरूप साहित्यिक पत्र से राष्ट्रवादी पत्र के रूप में विकसित हुआ।
कुमाऊँ कुमुद ने सन् 1936-37 के पश्चात ही अधिक लोकप्रियता प्राप्त की, जब शक्ति से असन्तुष्ट होकर कुछ राष्ट्रवादियों ने कुमाऊँ कुमुद को अपनाया ओर एक राष्ट्रवादी पत्र के रूप में विकसित किया। इसी कारण राष्ट्रीय स्वतन्त्रता से जुड़ा होने के बावजूद कुमाऊँ कुमुद शक्ति से भिन्न नीति वाला था।
कांग्रेस मन्त्रिमण्डलों की स्थापना के पश्चात शक्ति ने मन्त्रिमण्डल की नीतियों और कार्यों का प्रचार करने का कार्य किया, जबकि कुमाऊँ कुमुद ने कांग्रेसी मन्त्रियों को उनकी कमियों से अवगत कराने तथा स्थानीय गम्भीर समस्याओं के प्रति ध्यान आकर्षित करने का कार्य किया। स्थानीय समाज की अिर्थक समस्या के विभिन्न पहलुओं को कुमाऊँ कुमुद ने उठाया और मन्त्रिमण्डल को पर्वतीय प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर ध्यान देने को विवश किया। समाजवादी प्रभाव वाले कांग्रेसी देवीदत्त पन्त से प्रभावित हो कुमाऊँ कुमुद ने आर्थिक समस्याओं और सामान्य जन के लिए समाजवाद, पूंजीवाद, साम्राज्यवाद आदि का सरल विश्लेषण प्रस्तुत किया।
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