उत्तराखण्ड के चमोली जिले में 7,816 मी. (25,463 फीट) की ऊँचाई पर स्थित नंदा देवी पर्वत भारत की दूसरी व उतराखण्ड की सबसे ऊँची चोटी है। विश्वभर में नंदादेवी पर्वत को 23 वी सर्वोच्च चोटी का खिताब हासिल है। यह पर्वत पूर्व में गौरीगंगा और पश्चिम में ऋषिगंगा घाटी के मध्य स्थित है। यह पर्वत श्रेणि दो भागों में बंटी है- नंदा देवी पूर्वी और नंदा देवी पश्चिमी। नंदादेवी पर्वत के आस पास का क्षेत्र नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत घोषित किया गया है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा 1988 में विश्व धरोहर के अंतर्गत शामिल किया गया है। गढ़वाल और कुमाऊँ के कई जगहों से नंदा देवी पर्वत के मनोरम दर्शन किये जा सकते है।
1936 में ब्रिटिश-अमेरिकी अभियान में सबसे पहली बार नोयल ऑडेल व बिल तिलमेन ने नंदादेवी पश्चिमी के शिखर पर चढ़ाई की। नंदा देवी पूर्वी पर सर्वप्रथम 1939 में पाॅलेण्ड की टीम ने आरोहण किया। इसके बाद 1964 में दूसरी बार सफल चढ़ाई की जिसमें एन. कुमार के नेतृत्व में भारतीय टीम सफलता प्राप्त कर पायी।
1981 में तीन महिलायें रेखा शर्मा, हर्षवंती बिष्ट व चंद्रप्रभा ऐतवाल ने भी सफल आरोहण किया। इस पर्वत श्रेणि से पिंडारगंगा नाम की एक नदी भी निकलती है जो आगे जाकर अलकनंदा में मिल जाती है। नंदा देवी पर्वत के आस पास के पर्वत काफी आड़े तिरछे है। एवरेस्ट फतह करने वालेे शेरपा तेंजिंग ने एक साक्षात्कार में कहा था कि नंदा देवी शिखर पर चढ़ना ऐवरेस्ट की तुलना में काफी कठिन है।
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