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    नौढा कौतिक

    नौढा कौतिक - उ.ख. के इस लोकोत्सव का आयोजन गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जनपद में कर्णप्रयाग-गैरसैण मार्ग पर नारायणगंगा के तट पर स्थिति आदिबदरी के पवित्र देवस्थल में वैसाख मास के पांचवें अथवा ज्येष्ठ मास के प्रथम सोमवार को किया जाता है। इसमें भाग लेने के लिए दूर-दूर के गांवों के लोग अपने लोकवाद्यों, ढोल, नगाड़ों आदि के साथ नाचते गाते हुए आते हैं तथा यहाँ पर आदिबदरी के मंदिर समूह के प्रांगण में एकत्र होकर खूब नाचते गाते हैं, जिसमें गढ़वाली नृत्य-गीतों का उन्मुक्त रूप देखने को मिलता है। इस अवसर पर व्यावसायिक क्रय-विक्रय भी होता है। इस संदर्भ में यह भी उल्लेख्य है कि इसे 'लट्ठमार मेला' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें द्वाराहाट के स्याल्दे के बिखौती के मेले के ओड़ा भेंटने की प्रथा के समान ही पिंडवाली तथा खेतीवाल लोगों के बीच मंदिर के प्रांगण पर अधिकार करने के लिए लट्टों का प्रयोग किया जाता है। यद्यपि इस परम्परा के बारे में कोई जनश्रुति उपलब्ध नहीं होती है, किन्तु निश्चित है कि ओड़ा भेंटने की घटना के समान ही इसके मूल में इन दोनों वर्गों के मध्य में पिछले समयों में घटित कोई घटना अवश्य रही होगी। इसके अतिरिक्त यह भी कहा जाता है कि पहले यहां पर कुमाऊं के बग्वाल मेलों के समान पाषाण युद्ध भी हुआ करता था जिसमें दोनों दलों के लोग आहत होते थे, कभी किसी योद्धा की मृत्यु भी हो जाती थी।


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