चन्द्रप्रभा एतवाल | |
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जन्म | 24 दिसम्बर, 1941 |
जन्म स्थान | धारचूला, पिथौरागढ़ |
माता | श्रीमती पदी देवी एतवाल |
पिता | श्री डी. एस. एतवाल |
व्यवसाय | पर्वतारोही |
शिक्षा | बी.ए., सी.पी.एड., एम.ए. (अर्थशास्त्र), आई.टी.आई. डिप्लोमा होल्डर |
सम्मान | पद्मश्री |
उपनाम | माउंटेन गोट |
चन्द्रप्रभा एतवाल का जन्म पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में 24 दिसम्बर 1941 को हुआ। उन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा छान्गरू क्षेत्र जो कि व्यास घाटी में आता है, से प्राप्त की। 1956 में राजकीय इंटर काॅलेज पांगू (पिथौरागढ़) से हाईस्कूल करने के बाद वे इंटर के लिए नैनीताल चली गई। नैनीताल से ही उन्होने बी.ए. से स्नात्कोत्तर की शिक्षा प्राप्त की। 1966 में सी.पी.एड. करने के उपरान्त वे राजकीय इंटर काॅलेज पिथौरागढ़ में शिक्षिका के रूप में नियुक्त हो गई और 1986 तक अध्यापन में रही। 1986 से औफीसर आन स्पेशल ड्यूटी (एडवेंचर) कलेक्ट्रेट, उत्तरकाशी रहीं। एन.आई.एम., उत्तरकाशी से 1972 में बेसिक और 1975 में एडवांस माउण्टेनियरिंग कोर्स पूरा किया। इण्डियन इंस्टीट्यूट आफ स्कीइंग एण्ड माउण्टेनियरिंग, गुलमर्ग से 1979 में बेसिक और 1980 में इन्टरमीडिएट स्कीइंग कोर्स पूरा किया। 1978 से 1983 की अवधि में 'निम', उत्तरकाशी में प्रशिक्षक रहीं। प्रशिक्षण के दौरान ही कई पर्वत चोटियों पर आरोहण किया। पर्वतारोहण के क्षेत्र में आगे बढ़ते रहने पर उनके कार्य को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें साहसिक कार्यों की विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया। पर्वतारोही होने के साथ साथ वे रीवर राफ्टिंग का भी शौक रखती है। चंद्रप्रभा एतवाल ने शिवलिंग चोटी, बंदरपूंछ चोटी, कामेट पर्वत, नंदाकोट पर्वत, सतोपंथा आदि चोटियों पर सफल आरोहण किया है।
पुरस्कार
✤ 1981 में 'अर्जुन पुरस्कार'
✤ 1982 में 'टीचर्स डे सर्टिफिकेट'
✤ 1984 में उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा 'स्वर्ण पदक'
✤ माउण्टेनियरिंग फाउण्डेशन द्वारा 'सिल्वर मेडिल'
✤ 1990 में भारत सरकार द्वारा 'पद्मश्री'
✤ 1993 में 'रंग रत्न अवार्ड'
✤ 1994 में नेशनल एडवेंचर अवाॅर्ड
✤ 2002 में 'गढ़ गौरव'
✤ नैनसिंह किशनसिंह लाइफटाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड
✤ 2009 में तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर लाइफटाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड
प्रमुख पर्वतारोहण अभियान
✤ 1972 - शिवलिंग चोटी, उत्तरकाशी (6,543 मी.)
✤ 1975 - बंदरपूंछ चोटी, उत्तरकाशी (6,316 मी.), इसी वर्ष केदार चोटी, उत्तरकाशी (6,831 मी.)
✤ 1976 - कामेट, चमोली (7,756 मी.)- इण्डो-जापानीज एक्सपिडीशन
✤ 1977 - कामेट, चमोली (7,756 मी.)- भारतीय महिला अभियान
✤ 1979 - रत्ताबन, चमोली (6,166 मी.)
✤ 1980 - ब्लैक पीक (कलानाग), उत्तरकाशी (6,387 मी.)
✤ 1981 - जापान की तीन चोटियों का सफल अरोहण किया।
✤ 1981 - नन्दादेवी, चमोली (7,816 मी.) - इस सम्मिलित अभियान में डिप्टी लीडर रहीं।
✤ 1982 - गंगोत्री प्रथम, उत्तरकाशी (6,672 मी.)
✤ 1983 - माणा चोटी, चमोली (7,272 मी.)
✤ 1984 - इण्डियन माउण्टेनियरिंग फाउण्डेशन द्वारा प्रायोजित एवरेस्ट अभियान की सदस्य रहीं
✤ 1986 - दिओ चोटी, तिब्बत
✤ 1988 - भागीरथी द्वितीय चोटी, उत्तरकाशी (6,512 मी.)
✤ 1989 - नंदा कोट चोटी, पिथोरागढ़ - बागेश्वर (6,861 मी.)
✤ 1990 - भ्रिगुपंथ चोटी, उत्तरकाशी (6,772 मी.)
✤ 1992 - एवरेस्ट साझा अभियान दल की सदस्य रहीं।
✤ 1993 - फिर इण्डो-नेपाली महिला साझा अभियान में एवरेस्ट पर 7,315 मी. तक पहुंची।
✤ 1998 - सुदर्शन चोटी, उत्तरकाशी (6,507 मी.)
✤ रिवर राफ्टिंग और ट्रैकिंग में भी इन्होंने कीर्तिमान बनाया है। तिब्बत, नेपाल, जापान, न्यूजीलैण्ड, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पं. बंगाल और गढ़वाल-कुमाऊँ क्षेत्र में 28 दुर्गम पथों का ट्रैकिंग किया।
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