KnowledgeBase


    अटरिया देवी मंदिर

    Atariya Devi Temple Mela

    अटरिया देवी मंदिर कुमाऊं के ऊधमसिंह नगर जनपद के मख्यालय रुद्रपुर में स्थित है। यहां पर स्थानीय लोगों के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के सुदूरक्षेत्रों के श्रद्धालु भी आकर पूजा अर्चना करते हैं। इस क्षेत्र के थारू-बुक्सा जनजाति के लोग विवाह के उपरान्त नवदम्पत्ति को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने तथा देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये अवश्य यहां लाते हैं। मंदिर परिसर में इस प्रमुख मंदिर के अतिरिक्त शीतला, भद्रकाली, सरस्वती, शिव, भैरव आदि के छोटे-छोटे देवालय भी हैं। Atariya Mandir Rudrapur


    इतिहास

    यह एक प्राचीन मंदिर है, निर्माण के बाद किसी आक्रमणकारी ने मंदिर को तोड़ दिया था और मूर्तियां पास के कुएं में डाल दिया था। सन 1588 ईसवी में तराई का क्षेत्र रुद्ररपुर को बसाने वाले राजा रुद्र चंद के कब्जे में आया। प्रचलित जनश्रुति के अनुसार एक बार जब राजा रुद्रचन्द यहां के वनों में आखेट करने के लिये निकले तो एक स्थान पर उनके रथ का पहिया जमीन में धंस गया। सनिकों को रथ का पहिया निकलने का आदेश दे राजा विश्राम के लिए एक वट वृक्ष की छाया में लेट गये और नींद आ गयी। उस समय उन्होंने एक स्वप्न देखा जिसमें माता भगवती ने उन्हें बताया कि जहां पर उनके रथ का पहिया धंसा है वहां पर उसके नीचे एक कुआं है और उसमें उसकी प्रतिमा दबी हुई है। नींद से जागने पर राजा ने अपने सैनिकों को उस स्थान पर उत्खनन करने का आदेश दिया और उसे खोदने के बाद उन्होंने देखा कि वहां पर एक पुराने कुएं के अवशेष थे। उसे और गहरा खोदने पर उन्हें उसमें देवी भगवती की वह प्रतिमा भी मिल गयी जिसके विषय में देवी ने स्वप्न में बतलाया था। राजा ने उसे बाहर निकलवा कर उसी स्थान पर देवी के मंदिर का निर्माण करवा कर उसमें देवी की मूर्ति की स्थापना करवा दी। संयोग से जब मंदिर में देवीप्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा करायी गयी थी तब उस समय चैत्र के नवरात्र चल रहे थे। तभी से प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रों में देवी की पूजा तथा पौर्णमासी को उत्सव (मेला) हुआ करता है। Atariya Temple History


    Atariya Devi Temple

    चैत्र नवरात्र में लगता है मेला

    माँ अटरिया मंदिर में हर वर्ष चैत्र नवरात्र के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मेला अत्यधिक प्राचीन होने के कारण इस दौरान मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ होती है। माँ का डोला मंदिर पहुंचने के साथ ही मेला प्रारंभ होता है और मां की विदाई के बाद मेला संपन्न होता है। इस तरह करीब 10 दिन का यह मेला होता है। Atariya Temple Fair

    Leave A Comment ?