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    गंगू रमोला

    गंगू रमोला (सम्भावित जीवनावधिः 14वीं शताब्दी): रमोलीगढ़ (टिहरी गढ़वाल) का इतिहास प्रसिद्ध गढ़पति, वीर, पराक्रमी। गंगू रमोला के जीवनकाल और इतिहास प्रसिद्धि के सम्बन्ध में कई लोकगाथाए प्रचलित हैं। कोई ऐतिहासिक लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। कुछ लोग गंगू रमोला को महाभारत के युग पुरुष भगवान श्रीकृष्ण का समकालीन मानते हैं। तब गढ़पतियों का ही क्या, गढ़वाल का ही कही नामोनिशान नहीं था। जागरों, पवांड़ों में गंगू रमोला का श्रीकृष्ण के साथ बराबर उल्लेख है।


    एक नई खोज के मुताबिक गंगू रमोला का सौ वर्षीय जीवनकाल उत्तर कत्यूरी नरेशों-सुजानदेव, प्रीतमदेव, उत्तमदेव, विरमदेव, धामदेव के शासन काल का साक्षी था। गाथाओं में गंगू रमोला गांगी कहलाया है। जब गंगू अकाल जन्य प्रवास में था, तो नाथ सिद्धों ने वहां अपनी चमत्कारिक सिद्धि से वर्चस्व स्थापित कर लिया था। उसके दोनों पुत्रों सिदुवा–बिदुवा ने जब उस पन्थ की दीक्षा ली, तो उन्हें नौ नागों के नाम पर राज्याधिकार वापस मिला था।


    नई खोज के मुताबिक गंगू का समय 1350-1430 ई. के लगभग बैठता है। तैमूर के बहरूज से युद्ध तथा कुटिला कपिल दर्रा (हरिद्वार) पर आक्रमण के बाद पहाड़ों में जो 'बाबा' (महामारी) फैली थी, गंगू रमोला उसी का शिकार हुआ था। गंगू के पतन के बाद सिदुवा–बिदुवा कत्यूरी राज के अधीनस्थ रहे। द्वारिका के श्रीकृष्ण के साथ गंगू की समकालीनता के सम्बन्ध में फैले मिथक का निराकरण यह है:- जिस प्रकार गढ़वाल नरेश स्वयं को ‘बोलान्दा बद्रीनाथ' कहलवाना पसन्द करते थे, कत्यूरी राजा स्वयं को 'द्वारिका पति' कहलवाना पसन्द करते थे। इसकी पूर्ण सम्भावना बनती है कि द्वारिका पति नाम से गाथा में गंगू और श्रीकृष्ण को मिला दिया गाथाकारों ने। महाभारत कालीन युगपुरुष यदुवंशी भगवान श्रीकृष्ण से गंगू की कथा जोड़ना ऐतिहासिक भ्रम है। इस बात की भी पर्याप्त सम्भावना है कि श्रीकृष्ण का समकालीन 'गंगू' कोई दूसरा नागवंशी 'गंगू' रहा हो। वह भी रमोली का हो। यह कत्यूरीकालीन वीर गंगू भी रमोली का था।


    कुछ लोग गंगू को रमोला जाति का 'मूलपुरुष' मानते हैं। गंगू चौहान वंशीय क्षत्रीय था। रमोली में बस जाने से वह रमोला कहलाया। रमोला जाति का मूल पुरुष 10वीं-12वीं शताब्दी में या इससे पूर्व हुआ होगा। कुछ लोग कुमाऊँ में रमौल गाथा को गंगू रमोला से जोड़ते हैं। यह कुछ ही इतिहासकारों की विकृत खोज है। गंगू के पुत्रों सिदुवा–बिदुवा का तो कुमाऊँ से सम्बन्ध रहा है, किन्तु गंगू रमोला का नहीं। गंगू ने अपने राज्यकाल में सेम-मुखेम तीर्थ में सात मंदिर बनवाए थे। आरुणी सेम, बारुणी सेम, बल्लभ सेम, तलबला सेम, काला सेम, गुप्त सेम आदि।


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