कटार मल्ल देव- कत्यूरी नरेश (1080-90 राज्यावधि): करवीरपुर (कत्यूर) में शासन करने वाले कत्यूरी राजवंश (नरसिंह देव से प्रारम्भ) के आठवें राजा। राजा नर सिंह देव से कटारमल्ल देव के शासन काल के नब्बे वर्षों में हुए राज्य विस्तार के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध नहीं है। कटारमल्ल देव ने अल्मोड़ा से लगभग 7 मील की दूरी पर बड़ादित्य (महान सूर्य) के मन्दिर का निर्माण करवाया था। इस गांव को अब कटारमल्ल गांव और मन्दिर को कटारमल्ल का मन्दिर कहा जाता है। यहां मन्दिरों के समूह के मध्य में कत्यूरी शैली वाले एक बड़े और भव्य मन्दिर का निर्माण राजा कटारमल्ल ने करवाया था। मन्दिर में सूर्य की उदीच्य प्रतिमा है, जिसमें सूर्य को बूट पहने हुए खड़ा दिखाया गया है। मन्दिर की दीवार पर तीन पंक्तियों वाला शिलालेख है, जिसकी लिपि के आधार पर, जो अब अपाठ्य है, राहुल ने मन्दिर निर्माण की तिथि दसवीं-ग्यारहवीं शती निर्धारित की है। बूटधारी आदित्य (सूर्य) की आराधना शक जाति में विशेष रूप से प्रचलित थी। कटारमल्ल के मन्दिरों में बूटधारी सूर्य की दो अन्य प्रतिमाओं के अतिरिक्त विष्णु, शिव, गणेश आदि की प्रतिमाएं हैं।
मन्दिर के काष्ट कपाटों पर देवी-देवताओं के सुन्दर चित्र अंकित थे जो अब समय के साथ अस्पष्ट होते जा रहे हैं। मन्दिर से उत्तर कत्यूरी काल की वास्तुकला, मूर्तिकला, काष्टकला एवं समकालीन धार्मिक मान्यताओं पर प्रकाश पड़ता है। मन्दिर में बलि–चरु-नैवेद्य-नृत्य-संगीत आदि की व्यवस्था के लिए राजाओं ने कई गाँव अर्पित किए थे। मन्दिर में नृत्य-गान के लिए देवचेलियों की भी व्यवस्था थी, जिनकी पुत्रियां बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध तक वेश्यावृत्ति अपनाती रहीं थीं। मन्दिर कपाटों को अब पुरातत्व संग्रहालय में रखा गया है। कटारमल्ल का बूटधारी सूर्य का मन्दिर देश के प्रमुख सूर्य मन्दिरों में से एक हैं।
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