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    शान्तन देव

    शान्तन देव (जीवनावधिः 12वीं सदी अनुमानित): पैनखण्डा, जोशीमठ (चमोली) में गढ़कनारा का शूरवीर प्रतापी गढ़पति। जोशीमठ के सामने उर्गम से विकट चढ़ाई पर निर्मित यह गढ़ पल्ला किमाणा जाने वाले मार्ग से गम्य है। गढ़ के कुछ ध्वंसावशेष आज भी मौजूद हैं। एक पंवाड़ा के अनुसार इस गढ़ का गढ़पति शान्तनदेव था। चाँदपुर गढ़ के गढ़ाधिपति पर जब चौखुटिया की ओर से 'सात-भाई-हीतों' ने आक्रमण कर दिया था, तब शान्तनदेव ने उसकी सहायता की थी। गैरसैण के निकट दस दिन तक 'सात-भाई-हीतों' से घमासान युद्ध हुआ। शान्तनदेव के हाथों छह-भाई-हीतों का वध हुआ। अन्त में वह स्वयं वीरगति को प्राप्त हो गया। उसकी रानी कफोला सती भी सती हो गयी। शान्तनदेव की वीरता के कारण ही चान्दपुर गढ़पति की युद्ध में विजय हुई थी (मध्य हिमालयः संस्कृति के पद चिन्ह, ले. डा. यशवन्त सिंह कठोच)।

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