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झूसिया दमाई | |
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जन्म | 1910 |
जन्म स्थान | धारचूला, पिथौरागढ़ |
पिता | श्री रानुवा दमी |
पत्नी | श्रीमती हजारी देवी, श्रीमती सरस्वती देवी |
व्यवसाय | लोक गायक |
मृत्यु | नवम्बर 16, 2005 |
झूसिया दमाई (1910, मृत्युः 16 नवम्बर 2005), ग्राम दूंगातोली, तह. धारचूला, पिथौरागढ़ में। मूल निवासः नेपाल के बैतडी जिला अन्तर्गत ग्राम बसकोट। लोक गायक, विशेषकर भड़ौ गायक के रूप में लोक प्रसिद्ध। कुमाऊँ और नेपाल के पुराने 'पैकों' (वीरों) की गाथा को भडौं कहा जाता है। झूसिया दमाई का परिवार पिछले 35 वर्षों से दूंगातोली गाँव में रह रहा है। झूसिया दमाई ने अपने पिता से लोक गाथाएं सीखीं। इस परिवार को नेपाल तथा धारचूला क्षेत्र में इष्टकुल के लिए वर्षों से एक ऐसा 'कर' निर्धारित किया गया है कि चैत्र, आश्विन और कार्तिक में देवताओं का स्तुतिगान करें। नेपाल के त्रिपुरा सुन्दरी, जगन्नाथ और भगवती के मन्दिरों में यह परिवार पीढ़ियों से गाथाएं गा रहा है। वह कहते हैं, इष्टकुल का ऋण चुकाने के लिए गाथा गायन हमारा जरूरी काम था। झूसिया ने बताया कि "इस अंचल में 22 भडौं (वीर) खासतौर पर प्रसिद्ध हैं, जिनमें छुराखाती, भीम कठायत, संग्राम कार्की, सौन रौत, रन रौत, लालसौन, सौन माहरा, कालू भण्डारी, उदाई छपलिया, नरसिंह धौनी आदि शामिल हैं। कहा जाता है, उस काल में कत्यूर में विरम देव राजा का राज था। ये 22 भड़ौं वीरतापूर्वक राजा के खिलाफ लड़े थे।" झूसिया ने बताया कि- "कुमाऊँ और नेपाल में महाभारत गाथा, जागर गाथा, त्रिमल चन्द, विक्रम चन्द, मुनशाही, खांशाही, पैक, सौन, भनारी, कठायत, 12 ठगुरी पैक, कालिका देवता, 33 कोटि देवताओं के अलावा ध्वज, थलकेदार, शिवनाथ, छिपलाकेदार, लटपापू, नन पापू, ठगुरी चन्द, गुंसाई गाथा, अलाईमल, छुरमल, भागीमल, गंगनाथ, गोलू देवता और भूतात्माओं के जागर और गाथाएं प्रचलित हैं।" पहाड़ के मंदिरों और मेलों में हुड़के की थाप पर प्रसिद्ध 'भड़ों' गाथा गाया करते थे। इनकी दो जीवन-संगिनियां, हजारी देवी और सरस्वती देवी भी पति के सुर में सुर मिलाती थी। हिमालय संस्कृति एवं अनुसंधान की तरफ से इनके व्यक्तित्व तथा गायन शैली पर शोध किया जा रहा है। झूसिया दमाई को दुःख है कि गाथाएं जानने और गाने वाले कुछ ही वर्षों में पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे।
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