त्रिलोक सिंह बसेड़ा | |
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जन्म | 18 अक्टूबर, 1934 |
जन्म स्थान | ग्राम - भंडारी, देवलथल, पिथौरागढ़ |
पिता | श्री लक्ष्मण सिंह बसेड़ा |
पत्नी | श्रीमती राधिका बसेड़ा |
नौकरी | सेना |
मृत्यु | 1979 |
उपनाम | आयरन वॉल ऑफ इंडिया |
त्रिलोक सिंह बसेड़ा का जन्म ग्राम भंडारी जिला पिथौरागढ़ में हुआ। बचपन से ही उन्हें फुटबाॅल में दिलचस्पी रही वे गांव में ही कपड़े की बाॅल बनाकर फुटबाॅल खेला करते थे। हाइस्कूल के बाद उन्होनें फौज में भर्ती में प्रतिभाग किया और 1950 में 16 साल की उम्र में सेना की ई.एम.ई. (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर) सेंटर, सिंकदराबाद में भर्ती हो गए। सेना में नौकरी के साथ ही वे सेना की बटालियन एथलेटिक्स टीम में प्रतिभाग करने लगे। उन्होंने बटालियन एथलेटिक्स में तीन स्वर्ण पदक जीते और सेना में ही वे फुटबाॅल टीम में शामिल हो गए।
त्रिलोक सिंह बसेड़ा ने 1961 में मलाया में हुए चैथे मोर्डेको शताब्दी फुटबाॅल प्रतियोगिता में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद 1962 में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में वे बैक पोजिशन पर खेले और भारतीय टीम ने दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। उनके प्रदर्शन पर उस वक्त प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें 'आयरन वाॅल ऑफ इंडिया' उपनाम प्रदान किया। खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के कारण ही इन्हें सेना में पहले हवलदार पद और फिर 1966 में जे.सी.ओ. का पद मिला।
खेल के साथ साथ ही 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में उन्होनें भाग लिया। एक बार खेल के मैदान में लगी चोट ठीक न हो सकी जिस कारण 45 की वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उस समय वे सेना में ही थे।
उत्तराखण्ड सरकार ने 2014 में उन्हें मरणोपरांत देवभूमि उत्तराखण्ड रत्न पुरस्कार दिया। उनकी स्मृति में देवलथल जी.आई.सी का नाम त्रिलोक सिंह बसेड़ा जी.आई.सी किया गया।
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