छोटे पे पोशाक बड़े पे ना धोती ना टोपी है, कहै गुमानी सुन ले बानी होनी है सो होती है। अँग्रेज के राज भरे में लोहा महंगा सोने से दौलत खींची दुनिया की सो पानी पीवे दोने से।
गुमानी जी की यह कविता उन्होने अपने गांव गंगोलीहाट के...
सुरंगतटी रसखानमही धनकोशभरी यहु नाम रहयो। पद तीन बनाय...
हटो फिरंगी हटो यहाँ से छोड़ो भारत की ममता हटो फिरंगी ...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
तुम सिद्धि करो महाराज होली के दिन में। गणपति गौरी गण...
आ लिली बाकरी लिली | हीरा सिंह राणा | कविता | Aa Lile...
जै जै जै गिरिजा महारानी स्वहा स्वधा स्वरूप् तुमही हो...
हिसालू की जात बड़ी रिसालू, जाँ जाँ ले जांछा उधेड़ी खां...
हुण देश हुणियां को डांग बाजौ डुंगर बाजौ। हीरा भली बा...
होली आई रे कन्हाई रंग छलके सुना दे जरा बांसुरी होली...
Keishe Kah Doon In Saalon Men | कैसे कह दूँ, इन सालो...
हे मेरे प्रदेश के वासी, छा जाती वसन्त जाने से जब सर्...
खून को अपना रंग दिया है बुरूंश ने बुरूंश ने सिखाया ह...