आ लिली बाकरी लिली छ्यू छ्यू।
आ लि लि लि लि ......छ यू छ यू।
बाकरी ऐजा उज्याड न खा , जोडनूँ तिहांडी हाता,
त्योरो-म्योरो कलि पटवै गुस्याणी तीन पिडिक सरादा।
सभापति ज्यू कैंल रपोटा, बात मान तू - तू -
ज्यांणी छ कती आली जब, एती परतिम चबकारी।
त्यर भी लगाली मेंकणी कच्याली, गाड़ी बे ल्वेकी धारी।
जब लागैली धन्तरैकि, पै भाजैली टू ... टू ....
ते बाकरी बाग लि जो रे त्विल उज्याड खाय।
ओये बाकरी त्यर कारणा काव जै म्यर आय,
लट्ठ लिबेर ऐ गो पधाना अब कथां हणी जूं .........जूं ..
त्विल नी खांण पय बाकरी धान युं पधानु का,
मैं भाजुनुं तल गध्यारा टू बुज हना लुका,
त्विल अपणी चिरि लधोड़ी क्या मैं टिकें खूं....खूं ...
ध्यौ कें जाबेरा आज मैं बौं लै मर्चे धूप दिणी।
ओ रे "हिरुवा " आज का दिना आगेछ तेरी निहुणी।
मार पडैली एसी हो रामा याद एँला बू ........... .बू ...........
जब नि खया मैल बुधुवा मेरि बाकरिल गोव।
ग्वेल्देराणी द्वि डबला भेंट चढौला भोव।
हम ग्वलों की त्वी छै देवी और कै छै कूं............कूं............।