सिद्धि करत यो गणपति राज विघन हरत यो गणपति राज अरघ सिंहासन मूषक वाहन लम्बोदर वाके चारों हाथ, विघन हरत यो ।। सिद्धि करत यो गणपति राज, विघन हरत यो ।।
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
सीता राम को ब्याह जनकपुर जाना है ।। कै लख आये रे हस्...
झुमुरा की घान म्यार् सम्दी सोबान सन् इक्सठि में पैद ...
अम्बा के भवन बिराजे होली देवा के भवन बिराजे होली। Am...
नाई-सुप-माण नै, एक गास दिनै रै। भाई को भरौस होल, तू ...
अपनी बहन कुँवरी की स्मृति में जिसका 1937 मे निधन हो ...
कामिनी भर भर मारत रंग, भर भर मारत रंग कामिनी भर पिचक...
हटो फिरंगी हटो यहाँ से छोड़ो भारत की ममता हटो फिरंगी ...
अब छाया में गुंजन होगा, वन में फूल खिलेगे दिशा दिशा ...
ततुक नी लगा उदेख घुनन मुनई नि टेक जैंता एक दिन तो आल...