सिद्धि करत यो गणपति राज विघन हरत यो गणपति राज अरघ सिंहासन मूषक वाहन लम्बोदर वाके चारों हाथ, विघन हरत यो ।। सिद्धि करत यो गणपति राज, विघन हरत यो ।।
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
पूर्वत-पहाड़, भ्योल-भाड़, डाँडा-काँठा स्वर्ग समान मै...
मैंने न कभी देखा तुमको पर प्राण तुम्हारी वह छाया जो ...
तुमने क्यों न कही मन की रहे बंधु तुम सदा पास ही खोज ...
मैं बनू वह वृक्ष जिसकी स्निग्ध छाया मे कभी थे रुके द...
गढ़ छोड़ि दे लंका रावन, लंका जैसो कोट हमारो, समुंदर जै...
नानी लछिमा त्यर चपल टुटल, लौंडा मौहना तेरि नौकरी छुट...
जय गोलू देवता, जय जय तुम्हारी मेरेइष्ट, जय जय तुम्हा...
हिट कौशिला मेरि गाड़ी में घुमि आली गरूड़ ला। गरूड़ लैना...
देवी का थान पतरिया नाचे, ताथैय्या ताथैय्या होय, अम्ब...