मैं चान्दऊ कि
मेरो गौं स्वर्ग बणो
पर सौत मैं सणी
नर्क से भी बदतर छ लगणू
आखिर किलै
ये वास्ता कि
अपणौ सब कुछ कला संस्कृति तक
पराई होण पर
बचणौ मुश्किल ह्वैगे
अपणपन को कुछ सिरफिरयां
सत्ता का लोभी
देंदा छन प्रलोभन कि
स्वर्ग धाम बणौला
संस्कृति हम सणि
अर्पण दिखै द्युला
तुम सणि चांद तारा
धरती पर पर पलायन होणु छ
सब कुछ अपणो,
कभी साकार होला सपना
अपणी कल्पना का?