Folk Songs


    मैं चान्दऊ कि

    मैं चान्दऊ कि
    मेरो गौं स्वर्ग बणो
    पर सौत मैं सणी
    नर्क से भी बदतर छ लगणू
    आखिर किलै
    ये वास्ता कि
    अपणौ सब कुछ कला संस्कृति तक
    पराई होण पर
    बचणौ मुश्किल ह्वैगे
    अपणपन को कुछ सिरफिरयां
    सत्ता का लोभी
    देंदा छन प्रलोभन कि
    स्वर्ग धाम बणौला
    संस्कृति हम सणि
    अर्पण दिखै द्युला
    तुम सणि चांद तारा
    धरती पर पर पलायन होणु छ
    सब कुछ अपणो,

    कभी साकार होला सपना
    अपणी कल्पना का?

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