दुनिया की हवा देखा
या रूखी किलै छ
दया धर्म की डाली स्या
अब सूखी किलै छ.
मनखी को धरम यो छ
झट प्रेम तैं पैछाणो
इंसान बणिक बसणो
मिलिकैक लाणों खाणों
पर प्यार की पोथली
अलबूदी किलै छ.
जख प्रेम की गंगा को
सुग्यो पाणी सूखी आंद
मनखी भी मनखी से
सट कैक रुठी जांद
मनख्याली तख प्यार की
प्यासी भूखी किलै छ
खुद देखा छौ तुम
खुद तै बस दे छजों
तै जुकड़ी दंदाल जुकड़ी को
चमकौंद प्यारी मुखुड़ी
अला माया मोह मनखी
त्यैसे रुठी किलै छ.