झोड़ा गीतों द्वारा विभिन्न समय काल में तरह तरह के गीत लिखे गये। जिनमें राजनैतिक विषय, नेताओं की नीति , विकास योजनाएं, आर्थिक स्तिथि और स्वतंत्रता सेनानी आदि पर भी गीतों द्वारा प्रकाश डाला गया। इसी तरह का एक झोड़ा गीत भगत सिंह के बलिदान पर भी लिखा गया। (Jhoda on Bhagat Singh)
“धन्य धन्य भगत सिंहा, धन्य तुमूं हणि
पाणि को पिजिया बीरा, पाणि कों पिजिया ।
फांसी हणि गयो वीरा, आजादी का लिजिया
हल हल आमां वीरा, हल हल आमां ।
आहा ते वीरा कैं फांसी है छ, सात बाजी शामा ।
आबा न्है गया वीरा, बैकुंठा का धामा
तै वीरा आया हो वीरा, फुलों का विमाना ॥
खेली हाल तास वीरा, खेली हाला तासा
भारत माँ छपो वीरा, तेरा इतिहासा ॥
लसी पसी खीरा देसा,लसी पसी खीरा
भारत जाहिर है गै तेरी तसबीरा।।”
सन्दर्भ -
कुमाउँनी भाषा और उसका साहित्य
लेखक - डॉ. त्रिलोचन पाण्डेय