हे.........
बांसुई का बन
मादुरी का कन
ताला माला खन
तै दिनै का छन
मैं भुलना भुलि जूंलो।
तू भुलिये जन
जस तेरो दिल कूंद
तस मेरो मन।
दुनाली मुरलि जसो
जोड़ो टुटौ जन।
घो कसो मदुर ल्हिछै पगली,
ब्रसनी कन।
टोहो बरसनी कन मधुली जन टोड़िये ग्यूं।
टोहो तेरि सूरत देखि मधुली मैंकणी छुटी च्यूं।
भाबरा जाना घाम लागलो पहाड़ा पडयो ह्यूं।
हिंदी अनुवाद
हे.....
बांसुरी की नाल
मादिरा ( एक प्रकार का अन्न ) के कण
उपर नीचे के खंड
उसी दिन के है।
मैं भूलने को भूल भी जाऊं
प्रिये, तुम न भूलना।
जैसा तुम्हारा दिल कहता है,
वैसा ही मेरा मन भी कहता है।
दोनाली मुरली जैसी
(हमारा) जोड़ा न टूटे।
वर्षा की जैसी घिर कर मन लेती हो, ओ उन्मद
बरसती क्यों नहीं हो?
ओहो, बरसती क्यों नहीं मधुली, न तोड़ना गेहूं।
ओहो, तुम्हारी सूरत देखकर मधुली, मुझे छा जाती है मूच्र्छा,
भाबर जाने में तुम्हे धूप लगेगी, पहाड़ पर पड़ गया हिम।