Folk Songs


    तुमल भल लगाछो म्यासो

    तुमल भल लगाछो म्यासो
    दुतरी को तारो
    भरियो भकारो
    कना कमस्यारो
    पड़नी तुस्यारो
    आजकला देवसिंगा
    नि पड़ती हुस्या ........
    कांकड़ी को रैतो
    जै बुड़ी कै ल्हिजनाछी रे
    उ बुड़ी कै तेरि सालम में
    आ.... हा.....
    पैबि भयो , थल भयो
    बर्मा भयो, बिस्नु भया
    तसी कैं
    जल के पीछे थल, थल के पीछे जल।
    झिटै घड़ी करि गैछा ठीकै मन
    पैंलि तुम सवम्या के नि जाणछया यारों
    दुतरी को तार
    आब आब हवे गैछा यारो,
    तुमि बड़ा हुस्यार .....
    गहतिया बड़ो
    फिणि खड़खडो
    राजै बखत तम सामव बोगणी भया रे
    तब तुमर नाम
    सवम्या पड़ो
    आ हां


    हिंदी

    तुमने अच्छा क्रम शुरू किया
    दो तार वाला सितार
    भरी हुई बुखारी
    कांडा-कमस्यार ( एक जगह का नाम है)
    पड़ती है तुषार
    आजकल देवसिंह जी
    होशियार की नहीं चलती आ....हा...
    ककड़ी का रायता
    जिस बुढ़िया को ले जा रहे थे रे
    उस बुढ़िया का तुम्हारे सालम में
    आ...हा....मायका
    पहले हुआ चेतन
    फिर हुआ, जड़
    जल हुआ, जड़
    जल हुआ, थल हुआ
    ब्रह्मा हुए, विष्णु हुए
    वैसे ही
    जल के पीछे थल, थल के पीछे जल।
    थोड़ी देर के लिए ठीक कर गए मन
    पहले तुम सालम निवासी ही कुछ नहीं जानते थे यारो,
    दो तार वाला सितार
    अब अब हो गए यारो,
    तुम बड़े होशियार आ,,,हां,,,,,,
    गहत (दाल) का बड़ा
    चटाई खड़खड़ी
    राजा के समय तुम सामान ढोने वाले हुए रे
    तब तुम्हारा नाम
    सलम्या (सामान ढोने वाले सालमवासी) पड़ा
    आ हां हां,,,,,,

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