धार्मिक मेले की दृष्टि से विषुवत् संक्रान्ति को भारत-नेपाल की सीमारेखा बनाने वाली महाकाली, सम्प्रति शारदा, के दक्षिण तट पर नैनीताल जनपद से लगे हुए चम्पावत जनपद के अन्तर्गत तीन हजार फीट ऊंचे अन्नपूर्णा शिखर पर स्थित पूर्णागिरी शक्तिपीठ में आयोजित होने वाला यह मेला भी यहां का अन्यतम प्रसिद्ध मेला है।
श्रद्धालुजन यहां पर पूरे वर्ष में आते रहते हैं किन्तु चैत्र तथा आश्विन की नवरात्रियों में इसका विशेष महत्त्व माने जाने से यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। विशेषकर चैत्र की नवरात्रियों में, जो वैशाख प्रारम्भ अर्थात् विषुवत् संक्रान्ति तक चलता रहता है। वैसाखी के दिन यहां पर विशाल उत्सव (मेले) का तथा पूजा अर्चना का विशेष आयोजन होता है। मनौतियां मांगने वाले लोग उनकी मनौतियां पूर्ण होने पर इस दिन पूजा के साथ बलिपरक भेंट चढ़ाते हैं। पहले तो यहां पर इस दिन सकड़ों बकरों का बलिदान हुआ करता था, किन्तु अब महंगाई के कारण बकरों की बलि कम हो गयी है और उसके स्थान पर जटायु नारियल की भेंट दी जाने लगी है।
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