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    अण्ढूड़ी महोत्सव (बटर फेस्टिवल )

    festival 1


    उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से ग्यारह हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित व 28 वर्ग किलोमीटर में फैले दयारा बुग्याल में प्रकृति और लोक देवताओं का आभार व्यक्त करने का उत्सव है ‘अण्ढूड़ी उत्सव‘ जिसे बटर फेस्टिवल भी कहा जाता है। यह उत्सव प्रतिवर्ष भाद्रपद संक्राति ( 16 व 17 अगस्त ) को मनाया जाता है।


    भाद्रपद की संक्राति को उत्तरकाशी के रैथल गांव के पास स्थित दयारा बुग्याल में ग्रामवासी अपने मवेशियों के ताजे दूध, दही, मक्खन आदि प्रकृति व अपने लोक देवताओं को अर्पित करके यह उत्सव मनाते हैं। इस दौरान लोक वाद्यों की धुन पर महिला और पुरूष लोकनृत्य करते हैं, लोकगीतों की प्रस्तुतियां देते हैं। यह यहां का पारम्परिक उत्सव है।(Butter festival uttarakhand)


    यह उत्सव कई पीढ़ियों से ग्रामवासी मनाते आ रहें हैं। गर्मियों के मौसम में ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बुग्यालों की तरफ प्रवास करते हैं। बुग्यालों के शुद्ध वातारण और नर्म औषधीय गुणों से युक्त घास के सेवन से मवेशियों का दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है। सावन महिने के खत्म होते होते जब ठण्ड हिमालय से नीचे की तरफ बढ़ने लगती है तब वहां रहने वाले लोग अपने मवेशियों के साथ नीचे की घाटियों में अपने गांव की ओर लौटने लगते हैं। गर्मियों में महिनों भर इतनी ऊँचाईं पर अपने मवेशियों की रक्षा करने पर ग्रामीण लौटने से पहले भाद्रपद माह की संक्राति पर यहां अपने लोकदेवताओं और प्रकृति की पूजा करते हैं तथा उन्हें आभार व्यक्त कर ये मक्खन होली खेलते हैं ।(Dyara bugyal butter festival)


    दयारा बुग्याल पर्यटकों का भी प्रमुख केन्द्र हैं। इसलिए इस उत्सव को पर्यटन से जोड़ते हुए बटर फेस्टिवल का नाम दिया गया । दयारा बुग्याल पहुंचने के लिए सबसे पहले उत्तरकाशी के रैथल गांव तक पहुंचना पड़ता है जो कि सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है । रैथल से 11 किमी0 की दूरी पर दयारा बुग्याल है जो कि पैदल ट्रैंकिग मार्ग है।(dyara bugyal)




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