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गुमान सिंह रावत | |
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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी | |
जन्म | 18 मार्च, 1918 |
जन्म स्थान | अयांरतोली, बागेश्वर |
पिता | श्री लक्ष्मण सिंह |
माता | श्रीमती बचुली देवी |
पत्नी | श्रीमती खिमुली देवी |
मृत्यु | 20 सितम्बर, 2012 |
16 मार्च 1918 को अयांरतोली निवासी पिता लक्ष्मण सिंह व माता बचुली देवी के घर में जन्मे गुमान सिंह रावत बचपन से ही देश भक्ति में लीन रहते थे। वे बताते हैं कि जब उन्हें विद्यालय भेजा गया तो वे विद्यालय जाने के बजाय नजदीकी स्थानों में होने वाली स्वतंत्रता की रणनीति बैठकों में भाग लेते थे। 1929 में जब महात्मा गांधी कौसानी आए तो वे उनके सम्पर्क में आए व पूरी तरह से पढ़ाई छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गए। 1932 में सेना में भर्ती हो गए। चोरी छिपे स्वतंत्रता आंदोलन में काम करने पर उन्हें छह माह की सेवा के बाद ही सेना से निकाल दिया गया। इसके बाद से उन्होंने देश की आजादी में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने पर उन्हें 30 रुपये का अर्थदंड व पांच माह के कठोर कारावास की सजा हुई। उन्होंने कई सांस्कृतिक व सामाजिक संगठनों की स्थापना की। पहाड़ी हुड़ुका लेकर गांव-गांव जाकर लोगों को हुड़के आदि की जानकारी देते थे। उनकी कला है कि वे अपने मुंह से ही हुड़के की थाप निकालते हैं। गुमान सिंह रावत लोक कलाकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। जब महात्मा गांधी कौसानी आए तो उन्होंने अपनी कला से किलै भभरी रैछ, गांधी जी एैरिना गीत गाया। जो कि उस समय काफी प्रसिद्ध हुआ।
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