देवी दत्त पन्त स्यूनराकोट, अल्मोड़ा। 1930 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लेने पर जेल यात्रा की। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में 9 माह कारावास की सजा मिली। ऐतिहासिक 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में बरेली जेल में नजरबन्द रहे। स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात प्रथम आम चुनाव में अल्मोड़ा से संसद सदस्य चुने गए। सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में इनका अनोखा योगदान रहा। कुमाऊँ के एक वाद्ययंत्र 'हुड़के' की थाप पर नाचकर और स्वयं इसे बजाकर इन्होंने कुमाऊँ के उच्च ब्राह्मण वर्ग को चुनौती दे डाली। सवर्ण लोगों ने इन्हें 'हुडक्या वकील' कहकर इन पर खूब व्यंग्य कसे। इसके बावजूद भी आप विचलित नहीं हुए और पं. हरगोविन्द पन्त की तरह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में लगे रहे। 1954 में दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में इनका निधन हो गया। विश्व प्रसिद्ध कवि श्री सुमित्रा नन्दन पंत आपके भाई और सुप्रसिद्ध रंगकर्मी लेनिन पंत पुत्र थे।
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