यह घर-गांव की बस्ती के आसपास उगने वाला एक बड़ा पेड़ है। जिसकी पत्तियों को किसी बड़े बर्तन में उबालकर दुधारू पशुओं को खिलाया जाता है। फल लगने से पूर्व तिमुला पर पुष्प नहीं दिखाई देते। किंवदंती है कि तिमुला के किसी वृक्ष पर कभी कभार ही पुष्प दिखाई देता है। यदि कोई उसे प्राप्त कर ले तो वह भाग्यशाला बन जाता है।
इसके फल पक जाने पर हल्के लाल और पीले रंग के हो जाते हैं। तिमुला के वृक्ष पर बड़ी मात्रा में फल लगते हैं किंतु अधिकांश फलों को कीड़ा खा जाने पर वे गिर जाते हैं। जिन फलों पर शहद जैसा मीठा पदार्थ होता है, वे अधिक मीठे होते हैं। जब पेड़ पर फल निकलना शुरू होते हैं तो उसके कच्चे कोमल फलों को तोड़कर उनसे सब्जी बनाई जाती है। लोक विश्वास है कि तिमुला और बेडू एक साथ खाने से हैजे की बीमारी हो जाती है।
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