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विनोद पंत | |
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जन्म | 1 सितंबर, 1972 |
जन्म स्थान | ग्राम खंतोली, बागेश्वर |
पिता | श्री रामदत्त पंत |
माता | श्रीमती लीलावंती पंत |
पत्नी | श्रीमती बिमला पंत |
बच्चे | शुभम और दीक्षा |
पेशा | कुमाउनी रचनाकार |
श्री विनोद पंत जी का जन्म ग्राम खंतोली, बागेश्वर ( उस समय जिला अल्मोड़ा) में श्रीमती लीलावंती और श्री रामदत्त पंत जी के वहां हुआ था। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा घर औऱ गांव के विद्यालय से प्राप्त की। उसके बाद इंटर कांडा से किया। अजमेर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य से एम.ए की डिग्री प्राप्त की।
मनखी करम कर
तबै तेर ग्रहौ जागल
बीज ब्वेलै के न
के बोट जरूर जामल .
तकदीर में निमू नी ले होला के बात नै ...
कम से कम बनौल तो तबले लागल ....
#विनोदपन्त_खन्तोली
बचपन से ही पंत जी की रुचि रचनात्मक कार्यों की ओर शुरू हुई। गीतों में छोटे छोटे जोड़ बनाकर वे अपनी रचनात्मकता को आगे बढ़ाते रहे। कॉलेज के दिनों से कविता लिखना पंत जी ने शुरू किए। पंत जी की लेखन में विधा व्यंग विधा है। हास्य पर आधारित कविताएं लिखना पंत जी को काफी पसंद है। इनकी कुमाउनी रचनाएं सभी को काफी पसंद आती है।
बेलि देखौ तो पुराणि याद ताजि हैगे
बासि झोलि कें उमाव आ साजि हैगे .
हद्द हांणि दे दिल बटी जाणै नि रयि
मेके लागणौ हरुलि अत्ति पाजि हैगे ....
घरवालि कैं पत्त लागौ ख्वार खाजि हैगे
हरुलि ले दिल बटी जांणतैं राजि हैगे
लेकिन दिल कूंण बैठो हरुली जरा रुक जानी कन् ...
त्वे देखि बेर दिलैकि बिमारी आजि हैगे ..
#विनोद_पन्त_खन्तोली
पत्रिकाओं के साथ-साथ आकशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से भी कई बार पंत जी को कविता सुनाने का मौका मिला। वर्तमान में पंत जी हरिद्वार में अपना निजी व्यवसाय करते है।
मनखी घमण्ड नि कर भाल भाल सरकि ग्याय
दारा सिंह जास ले एक टैम में बरकि ग्याय ...
जो दुन्नि भरि क जाड बुजाड जांणछी ..
एक टुकुड मिठ्ठै खांण मेई फरकी ग्याय ..
#विनोदपन्त #खन्तोली
श्री राजेंद्र ढैला जी द्वारा लिए गए कुमाउनी इंटरव्यू©हमार कुमाउनी रचनाकार【42】पर आधारित
पूरा इंटरव्यू यहाँ देखें - श्री विनोद पंत - कुमाउनी इंटरव्यू
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