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    प्रसून जोशी

    Prasoon joshi

    प्रसून जोशी

     जन्म:  सितम्बर 16, 1968
     जन्म स्थान: दन्या गांव, अल्मोड़ा
     पिता:  श्री देवेंद्र कुमार जोशी
     माता:  श्रीमती सुषमा जोशी
     पत्नी:  अपर्णा
     व्यवसाय:  कवि, विज्ञापक, गीतकार

    उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के दन्या गांव में जन्में प्रसून जोशी को भला कौन नहीं जानता। लोग इन्हें हिन्दी कवि, लेखक, पटकथा लेखक और भारतीय सिनेमा के गीतकार के तौर पर जानते हैं। यह इंडस्ट्री के भारतीय विज्ञापन गुरु के नाम से भी प्रख्यात हैं। उन्हें सरकार ने पहलाज निहलानी के स्थान पर शुक्रवार (11 अगस्त 2017) को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष बनाया है।


    सिनेमा के नब्ज पहचानने वाले प्रसून जोशी जोशी का जन्म 16 सितम्बर 1968 को हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्र कुमार जोशी है और माता का नाम सुषमा जोशी है। प्रसून मानते हैं कि उनके रचनात्मक रवैये के पीछे उत्तराखंड में बिताए उनके वो दिन हैं जिनमें वह जगह—जगह भ्रमण करने गए। प्रसून कहते हैं कि उनका बचपन उत्तराखंड के हर कोने में बीता है जिसमें टिहरी, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, चमोली एवं नरेन्द्रनगर हैं। प्रसून के पिता पिता उत्तर प्रदेश सरकार में 'शिक्षा निदेशक' थे। नोएडा में रहते हुए प्रसून की मुलाकात अपर्णा से हुई और नवम्बर 1995 में दोनों का विवाह हुआ। उनकी एक पुत्री भी है जिसका नाम एेशान्या जोशी है।


    शिक्षा


    गीतकार, पटकथा लेखक और विज्ञापन गुरु प्रसून की प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड के गोपेश्वर एवं नरेन्द्रनगर में हुई। वह बताते हैं कि नरेन्द्रनगर उनके दिल के काफी करीब हैं, क्योंकि वहां पर उनके बचपन की कई यादें समाई हुई है। उन्होंने एम.एससी., के बाद एम.बी.ए. की पढ़ाई की।


    करियर


    गीतों के लिए दिलचस्पी के चलते प्र्सून ने उस्ताद हफीज़ अहमद खान से शास्त्रीय संगीत की दीक्षा ली और अपने शौक को आगे बढ़ाया। उनके उस्ताद उन्हें ठुमरी गायक बनाना चाहते थे। प्रसून उन दिनों को बहुत याद करते हैं और भावुक हो जाते हैं। वह कहते हैं कि उन दिनों मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं बैठकर रियाज करूं इसलिए मैं बाइक पर घर जाते समय रियाज किया करता का था और मेरा हेलमेट उनके लिए "अकॉस्टिक" का काम करता था।


    सुपरहिट गीत


    प्रसून ने दिल्ली ६’, ‘तारे ज़मीन पर’, ‘रंग दे बसंती’, ‘हम तुम’ और ‘फना’ जैसी फ़िल्मों के लिए कई सुपरहिट गाने लिखे और एक सफल गीतकार के रूप में जाने गए। वह कहते हैं कि उन्हें 'हवन करेंगे', 'मस्ती की पाठशाला' और 'गेंदा फूल' जैसे गीत पसंद आते हैं।


    अन्तर्राष्ट्रीय पहचान


    प्रसून वह उत्तराखंडी हैं जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जाना जाता है। ‘ठण्डा मतलब कोका कोला’ एवं ‘बार्बर शॉप-ए जा बाल कटा ला’ जैसे पॉपुलर विज्ञापनों के कारण उन्हे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिली और उन्हें एड गुरु कहा जाने लगा। प्रसून ने दिल्ली में ओगिल्वी और माथेर के साथ 10 साल तक काम किया।


    सम्मान


    प्रसून जोशी को कला, साहित्य एवं विज्ञापन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए साल 2015 में “पद्म श्री” से सम्मानित किया गया है।


    स्टार स्क्रीन अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार (2005) - सांसों को सांसों (हम तुम)
    फिल्म फेयर अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार (2007) - चांद सिफारिश (फना)
    राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ गीतकार (2008) - मां (तारे जमीं पर)
    फिल्म फेयर अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार (2008) - मां (तारे जमीं पर)
    राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ गीतकार (2013) - बोलो ना (चटगांव)
    फिल्म फेयर अवार्ड सर्वश्रेष्ठ गीतकार (2014) - जिंदा (भाग मिल्खा भाग)


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