यह गीत सामूहिक रूप से गाया जाता है। इस गीत के साथ-साथ नृत्य भी चलता है। गोल घेरे में खड़े होकर एक दूसरे से हाथ व कंधा जुड़ाये हुए एक विशेष प्रकार के पद-संचालन के के साथ झोड़े गाये जाते हैं। इसे स्त्री पुरूष अलग-अलग टोली में गाया करते हैं। इसे झोड़ा, झवाड़, झवाड़ा नाम से सम्बन्धित करते हैं। झोड़ा गीत में यह निम्न गीत है।
1. खोल दे माता खोल भवानी धरम किवाड़
दि ज्योला निशाण चढूलो तेरा दरबार
2. पाणी नी जा वे पाणी, भँवर को सीला पाणी नी जावे।
पाणी छौ भौते दूर, भंवर को सीला पाणी नी जावे
माछा लागो ध्वीड़ा सुवा माछा लागो ग्वीड़ा
लाकड़ी का क्याड़ा सुवा लाकड़ी का क्याड़ा
त्यारा खूटो काना बूड़ो म्यारा बूटा पीड़ा
3. रौंकी लछीमा अस्सी गोरू नब्बे फ़ैसा लछीमा चालीस बकारा।
रौंकी लछीमा मडुवा नी खानी कैंछैे लछीमा ग्यूं है गीं अकारा।
रौंकी लछीमा लाकड़ी का गिना, रौंकी लछीमा लाकड़ी का गिना ।
रौंकी लछीमा मैले कि बरेती अयूँ त्यारा ब्या का दिन।
रौंकी लछीमा इकारो दमुवा बाजो लछीमा तुड़ी धिनाधिन।
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