यह पीतल अथवा तांबे का बना होता हैं, जिसका प्रयोग युद्ध के अवसर पर सूचना देने अथवा सावधान करने के काम में लिया जाता था। वर्तमान समय में उत्तराखण्ड में यह वाद्य वर-यात्राओं व देव-यात्राओं में प्रचलित दिखाई देता है।
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