Folk Songs


    गढ़रत्न - नेगी दा

    अगस्त 12, व तिथी छा शुभ,
    कैथे पता छा, गढ़रत्न च् हुँयू।
    बीती गेनी बरस जब, समय ऊंकू ऐगे,
    गीतमाला लेके नेगी जी जु ऐगे।
    गढ़वाल बटी देश-विदेश तक,
    छूदा बस वु असमान गें।
    देवभूमी थे अपणां गीतू ल्
    कैल् कभी इतगा बारीकी से नी समझे।

    देवभूमी थे अपणां गीतू ल्
    कैल् कभी इतगा बारीकी से नी समझे।

    जख नौना-बालौं थे निंद नी आंद छा,
    ऊखूँ 'बाला से जादी' गीत लगे।
    द्वयवता उजागर नी हूँदा छा जख,
    वखा कु जागर भी गैं।
    भष्ट्राचार खे ग्या छा जे राज्य थे कभी,
    वख नौछमी - नारैणं जन गीत लगें।

    समधि-समल्यौणं का गीत लगे,
    गीत आपल माया फर मिसे,
    बावन गढ़ कु देश आठ मिनटों मा घुमे,
    दगड़ा - दगिड़ वीर गाथा भी सुणें।
    धारी देवी का गीत लगे,
    गैरसैण आपल् ही त राजधानी बणें।
    हौसिया उमर मा, नयु - नयु ब्यो करे,
    ब्यो - बरात्यूं मा सुरमा सरेला प्फर नचे।

    हजार से भी बिंड्या गीत,

    आप उत्तराखण्ड कु मान छौ,
    देवभूमी उत्तराखण्ड कु दूसर नाम आप छौ।
    ज्यू बुल्दू मेरु भी,
    डांडी काठि्यों मां, कखि बुग्यालु मां,
    बिता द्यूलु जिन्दगी अपणीं,
    सुणंदा - सुणंदा गीत नेगी जी का।

    कुंजणिं कु दिन रे होलु, कुंजणिं ज्य रे होलु वार,
    बाटू रिबिड़ गे सायद यम भी,
    जाणं रे होलु कखी और, अर ऐ गी तुमारा द्वार।
    स्युपनयों मा मग्न रे होला,
    या मग्न रे होला संगीत मां,
    ज्युरां ल् तबर् दस्तक दे , लिजाणु कु अप्फ दगड़ मां।
    यम थे नी रे होलु पता सायद, अमर नेगी दा का बारा मां।
    देखी अस्पताल भेर भीड़ भारी,
    घबरे गें चित्रगुप्त अर ज्युरां।
    सोची गलती वेगे भारी, चल गे वापस घौर अपणां।

    सुणिं मिल गीत सब्या आपका, मन मेरु भी भरमैगे,
    रुआँ - धुँआ सी प्फुले ग्यो मी भी तुमरी माया मां।

    गढ़रत्न भी आप, मेंखू उत्तराखण्ड भी आप,
    गीत भी आप मेरी गीतमाला भी आप।
    नेगी दा, ठंडी हवा कि आवाज़ आप,
    ठंडो पाणीं कु स्वाद आप।
    नरेंद्र सिंह नेगी, उत्तराखण्ड कु दूसर नौं ही त् च्,
    हर उत्तराखण्डी का दिल मा बस्यां छां आप,
    नेगी दा आपथे मेरू सादर प्रणाम।

    सौ प्रतिशत खास छौ आप, क्वी त् बात छेंछ्,
    सुदी त क्वी गढ़रत्न नी कहलान्दू,
    आपसे ही त् हमरु उत्तराखण्ड जणें जांद।
    सुदी त् क्वी गढ़रत्न नी कहलान्दू,
    आपसे ही त् हमरु उत्तराखण्ड जाणें जांद।


    लेखक

    नाम - गौरव सिंह चौहान
    पता - देहरादून

    Leave A Comment ?

    Popular Articles

    Also Know