यह आकार एवं बनावट में दनेला की तरह ही होता है। दनेला और सतघनी में अन्तर इतना ही होता है कि इसमें छ: की बजाय सात घाने अपेक्षाकृत छोटे, प्रयोग में लाये जाते हैं। सात घाने प्रयाेग में लाने के कारण ही इसे सतघनी कहा जाता है।
सतघनी धान की रोपाई हेतु खेत को मुलायम बनाने के काम में लाया जाता है। इसमें घानों की लम्बाई 8 से 10 इंच व गोलाई 2½ इंच होती है और इन घानों का अगला सिरा हल्का नुकीला होता है।
आजकल लकड़ी की जगह लोहे से बना सतघनी प्रयोग में लाये जाने लगा है, परन्तु इसमें सात की बजाय छ: घाने ही लगे होते हैं। बड़े-बूढ़े बताते हैं कि लकड़ी से बने सतघनी के प्रयोग से खेत जिस तरह उपजाऊ व रोपाई के लिए मुलायम बनता था वह बात लोहे के सतघनी के प्रयोग से देखने में नहीं आती है। यही कारण है कि अब भी लकड़ी से बने सतघनी का प्रयोग रोपाई के लिए खेत तैयार करने में बहुतायत से ग्रामीणों द्वारा किया जाता है ।
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