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    नस्यूड़ा

    नस्यूड़ा खेत की जुताई हेतु हल में लगाया जाने वाला प्रमुख उपकरण है। तुन, बॉज या मेहल की लकड़ी से बना नस्यूड़ा लगभग 23 इंच लम्बा, 1½ इंच मोटाई युक्त होता है। इसका मध्य भाग अधिकतम 6 इंच चौड़ा व सिरा नुकीला होता है। इसके मध्य भाग से नुकीले सिरे तक 11 इंच लम्बा, 1 इंच चौड़ा व ½ इंच गहरा कटान होता है जिसमें इसी नाप की एक लोहे की नुकीली छड़, जिसे बाणों या बहाण कहा जाता है, पांचरों की मदद से जमायी जाती है। नुस्यड़े के पिछले सिरे का 4 इंच भाग लगभग 1½ इंच चौड़ा होता है जो मुख्य लाठे में फसाया जाता है। इसे गढ़वाल में नसड़ो कहा जाता है।


    कहा जाता है कि मासी का सोमनाथ मेला कभी इस क्षेत्र में नस्यूड़ों के लिए प्रसिद्ध था। नस्यूड़े खरीदने के लिए साल भर इंतजार किया जाता था, जिसमें दूर-दराज क्षेत्रों के लोग कई दिन की मीलों यात्रा पैदल तय कर यहाँ पहुँचते थे और मनपसंद टिकाऊ व मजबूत नस्यूड़े खरीद ले जाते थे। इसी तरह बागेश्वर के उत्तरायणी मेले व थल मेले में भी नस्यूड़े काफी संख्या में बिकते थे। यह बात दीगर है कि आज लोहे के हलों के प्रचलन में आने से नस्यूड़ों की आवक व बिक्री कम हो गयी है। आजकल नस्यूड़ा बनाने में लगभग 150 रुपये का खर्चा आता है।


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