यह खेत की जुताई यानि मिट्टी चीरने के काम में प्रयोग लाया जाने वाला प्रमुख उपकरण है। इसमें बहाण (लोहे की नुकीली छड़ यानि फाल) को छोड़कर अन्य सभी भाग लकड़ी से ही बने होते हैं। यही कारण है कि यह कम कीमत में स्थानीय काश्तकारों द्वारा बनाया जाता है तथा साथ ही मरम्मत भी की जाती है। पहाड़ों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार वहां छोटे एवं हल्के हौव बनाये जाते हैं। जो लगभग 3-4 सेमी. गहरी जुताई के काम में लाये जाते हैं व इनका सभी प्रकार की मिट्टी में प्रयोग होता है। हौव के प्रमुख भाग हत्था, लाठा, उगौ या हतिन, नस्युड़ा हैं। हत्था जिसकी लम्बाई 32 इंच होती है, में 76 इंच लम्बा व 8 इंच चौड़ा लाठा लगा हुआ होता है, जिसके अगले सिरे से लगभग 12 इंच की दूरी पर एक किलड़ी या किल्ली लगी होती है। जिसकी मदद से जुवा बैलों के कंधों पर लगाया जाता है। लाठा मुख्यत: साल या तुन की लकड़ी का बना होता है। हत्थे के सबसे निचले भाग पर नस्यूड़ा लगा होता है। इसे पांचरों की मदद से फिट किया जाता है। खेत की जुताई गहरी या उथला करने के लिए पांचरों की सहायता से नस्यूड़ा को ऊपर नीचे भी किया जाता है। लाठा और नस्यूड़ा के बीच के कोण को बढ़ाने से जुताई गहरी होती है।
हल को पकड़ने के लिए हत्थे के ऊपरी भाग में उगौ या हतिन लगा होता है। यह लगभग 6 इंच लम्बा व 4 इंच गोलाई युक्त होता है।
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