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    नमक - लोटा कसम / परम्परा

    namak lota


    उत्तराखंड के जौनसार - बावर क्षेत्र में एक अनूठी परम्परा मनाई जाती है। जिसे नमक - लोटा कमस कहा जाता है। यह कसम एक तरह की जुबानी संकल्प है जिसकी किसी रजिस्टर्ड एग्रीमेंट से भी अधिक अहमियत मानी जाती है। इसका आशय यह है कि जिसने एक बार इस कसम में जुबान दे दी वह अपने वचन से फिर मुकर नहीं सकता। इस परम्परा में जिसे यह संकल्प लेना होता है वह अपने कुल देवता महासू महाराज को साक्षी मानकर एक पानी भरे लोटे में नमक डालकर यह प्रतिज्ञा लेता है कि " मैं जो वचन दे रहा हूं उस पर हमेशा अटल रहूंगा। यदि ऐसा न हुआ तो मेरा और मेरे परिवार का अस्तित्व ठीक उसी तरह समाप्त हो जाएगा जैसे कि पानी से भरे लोटे में नमक का हो जाता है। ’’


    संकल्प लेने के लिए गांव के मुखिया के घर पर पंचायत बुलाकर प्रत्येक परिवार के कुछ सदस्य जरूरी रूप से उपस्थित रहते हैं। यह परम्परा किसी भी तरह के विवाद जैसे जमीनी विवाद, घर का विवाद आदि के दौरान एक दूसरे पर लगाए हुए आरोपों की सत्यता परखने, किसी भी प्रकार के झगड़े सुलझाने में और सबसे ज्यादा यह कसम रवाईं घाटी में चुनाव के वक्त मतदाताओं को दिलायी जाती है हालांकि अब कहीं कहीं युवा चुनाव में इस परम्परा को अलग रखते हैं और योग्यतानुसार ही प्रत्याशी को चुनते हैं।




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